ज़्यादा होना

zyada hona

व्योमेश शुक्ल

व्योमेश शुक्ल

ज़्यादा होना

व्योमेश शुक्ल

और अधिकव्योमेश शुक्ल

    जब मैं यहाँ बैठा मंजन कर रहा हूँ

    तब, इसी समय सुनील लालवानी अपनी दुकान में बैठा बिस्कुट बेच रहा होगा

    और अमरदीप सिंह हीरो होंडा के किसी पार्ट को अधिकतम लाभ की आकांक्षा के साथ

    किसी नवोदित वाहनस्वामी को पटेलने में लगा होगा

    इसी समय, लक्ष्मी नारायण जैसवाल, शर्तिया, पान जमाए मामा की अनुपस्थिति में

    मामी को रिझाने की रोज़मर्रा लेकिन मौलिक कोशिश में लगा होगा

    उधर न्यूयार्क की सनसनाती रात में माधुरी दीक्षित अपने डॉक्टर पति के पहलू में

    सो या जाग रही होगी

    जितने भी लोग जीवित हैं, उनके एक ही समय में

    कुछ कुछ करते होने का

    एक असंभव सामूहिक लैंडस्केप, यों, बनाया जा सकता है

    वह ज़ाहिर है दुनिया का भौगोलिक मानचित्र नहीं है

    भले ही यह लैंडस्केप उस मानचित्र के भीतर कहीं रखा हुआ है

    इस दृश्य में मनुष्यता के अतीत को भी शामिल कर लेने पर

    विस्तार की हद हो जाती

    अत: सुविधा के लिए दृश्य को वर्तमान में ही सीमित किया गया है

    हालाँकि यह लैंडस्केप भी एक ही वक़्त में

    अधिकतम संभव लोगों के

    उतने ही तरीक़ों से

    परस्पर भिन्न

    कुछ कुछ करते होने का

    एक सरल पाठ ही होगा

    बहुत सारे तत्त्व इस पाठ में शामिल होने से हमेशा बाक़ी रह जाएँगे

    जैसी इतिहास की किताबें होती आई हैं

    लेकिन एक मन है हमारा

    जिसमें यह ख़याल निरंतर बड़ा होता जाएगा

    कि कुछ छूट गया है छूट रहा है छूट जाएगा

    यह जानते हुए जीना कि बहुत कुछ बाक़ी है

    अपेक्षाकृत बेहतर जीना होगा

    और आदमी के मरने के बाद सब कुछ यहीं छूट जाता है वाली कहावत में

    मरने के बाद सब कुछ से ज़्यादा छूट जाया करेगा

    और अंतर्वस्तु अब पहले से ज़्यादा होगी और विस्तार पहले से कहीं ज़्यादा होगा

    होना अब ज़्यादा होगा

    ज़्यादा बहुत ज़्यादा होगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : फिर भी कुछ लोग (पृष्ठ 66)
    • रचनाकार : व्योमेश शुक्ल
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2009

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