तराशे नाख़ूनों वाली वह सुंदर लड़की

tarashe nakhunon wali wo sundar laDki

विजया सिंह

विजया सिंह

तराशे नाख़ूनों वाली वह सुंदर लड़की

विजया सिंह

और अधिकविजया सिंह

    (रेहाना जेब्बारी की लिए)

    रेहाना, कितनी सच्चाई से तुमने कह दिया

    “औरत होने के सबक़ मेरे काम नहीं आए”

    और यह भी कि “इस ज़माने में ख़ूबसूरती की कोई क़द्र नहीं”

    तराशे नाख़ूनों की ख़ूबसूरती सिपहसलार बरदाश्त नहीं कर सकते

    उन्हें तराशी हुई हर चीज़ से डर लगता है

    तराशा हुआ सच, फ़लसफ़ा,

    भावों की कोमलता, आँखों का तेज़, खुले में लिया चुंबन

    सब उन्हें डराते हैं

    डराते हैं उन्हें अपनी नरमी से, अपनी कमनीयता, अपनी रोशनी से

    रेहाना, तुम्हारे पक्ष में कुछ भी नहीं था

    तुम्हारा यौवन, तुम्हारा भोलापन, तुम्हारी ईमानदारी

    सिर्फ़ तुम अपने पक्ष में खड़ी थीं

    कितना सँकरा था तुम्हारी सुरक्षा का घेरा :

    तुम्हारी माँ की दुआएँ

    और तुम्हारे पिता के शब्द : तुम एक कुर्द हो, शेर की तरह बहादुर मेरी बच्ची

    तुम्हारे हाथों को माँ को छूने से रोकती काँच की दीवार

    और सहहरे रे की वे तमाम बदनसीब औरतें

    जिनके जिस्म चाबुकों से छलनी और रूहें सहमी हुईं

    तयेबेह, शाहला, सोहेइला, जाहरा, शीरीन...

    जिनके नाम तक लोग भूल गए

    जिनकी संतानें यतीमख़ानों में भेज दीं गईं

    और तुम रेहाना

    कभी कालकोठरी के घुप्प अँधेरे में, कभी प्रतिदीप्त रूखे उजाले में

    उनींदी, माँ को पुकारती,

    तुम्हें उम्मीद थी न्याय की

    अपने घर और कॉलेज लौट जाने की

    अपनी ज़िंदगी को फिर वहीं से शुरू करने की

    जहाँ हाथ से छिटक कर वो एविन काराग्रह में पड़ी थी

    जब तुम मात्र उन्नीस साल की थीं

    कभी सिर्फ़ एक पल काफ़ी होता है

    छलावों, मुखौटों और रूमानियत भरे ख़यालों

    से परे राष्ट्र की असीम हिंसा और बर्बरता को उजागर करने में

    उस धरातल से कौन लौट पाता है?

    ...रेहाना, तुम्हारे लिए कहीं कोई योगमाया नहीं थी

    जिससे तुम्हें अदला-बदला जा सकता

    तुम्हें तो ख़ुद अपने लिए फ़ना होना था

    बिजली की तरह पल भर को चमकना था

    और ग़ायब हो जाना था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विजया सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए