शहरज़ाद उनींदी पड़ी है

shaharzad unindi paDi hai

मोनिका कुमार

मोनिका कुमार

शहरज़ाद उनींदी पड़ी है

मोनिका कुमार

और अधिकमोनिका कुमार

    शहरज़ाद उनींदी पड़ी है,

    मृत्यु से बचने के लिए

    क्या कोई अनवरत कहानी कह सकता है?

    कथा पर सवार काफ़िले

    अक्सर गंतव्य से आगे निकल जाते हैं।

    उन्हें कहानियों का अंत ज़िंदा नहीं रखता

    धीरे-धीरे वे कथानक से रुचने लगते हैं,

    हमारे मरने की मामूली कहानी

    हमें मरने तक ज़िंदा रखती है।

    कहानियाँ दोहरा रही हैं ख़ुद को

    हर कहानी किसी और कहानी में है,

    घटनाएँ इसलिए भी बेतहाशा घट रही हैं

    क्यूँकि हम मानने लगे हैं,

    गति के दौर में विश्राम अपराध है।

    एक हज़ार एक रातें बीतने वाली हैं

    शहरज़ाद को आभास हो गया है

    कि अनवरत कहानी के अंत से पहले

    सुल्तान को उससे प्रेम हो जाएगा।

    पर शहरज़ाद का दिल जानता है

    ख़ुद को ज़िंदा रखने के लिए

    इतने रतजगों के बाद,

    उसे प्रेम से अधिक नींद की ज़रूरत है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आश्चर्यवत् (पृष्ठ 34)
    • रचनाकार : मोनिका कुमार
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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