समय के उदास लोगों के बीच

samay ke udas logon ke beech

नवल शुक्ल

नवल शुक्ल

समय के उदास लोगों के बीच

नवल शुक्ल

और अधिकनवल शुक्ल

    एक आदमी ख़ुश होता है

    चलता हुआ धरती पर

    देखता है जंगल, पहाड़, खेत

    नदी की तरह बहता है

    मिलता है धूल से

    पशु-पक्षी और मुझसे

    करता है दो बात

    मंद-मंद

    फैलती हैं ख़ुशियाँ तमाम।

    हारा-थका मैं, ख़ुशियों से भर जाता हूँ

    थोड़ा तेज़ चलता हूँ

    पृथ्वी को सहलाता

    सड़क पर झुकी टहनी

    छूता उछल-उछल

    थपथपाता बच्चों को

    चाहता हूँ, दुनिया को, बाँध लेना बाँहों में।

    इंतज़ार करती लड़की को

    चूमती हैं दिशाएँ

    हवा में उड़ती उसकी लटें

    सँवार देना चाहता हूँ।

    भागमभाग के बीच

    धीरे से छूती हैं हमें

    बूढ़ी, ठंडी उँगलियाँ

    उन्हें अपनी थोड़ी-सी जगह देता हूँ

    जाता हूँ जहाँ भी

    समय से उदास लोगों के बीच

    उन्हें थोड़ा-सा हिला देता हूँ

    धरती पर, गगन बीच।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दसों दिशाओं में (पृष्ठ 13)
    • रचनाकार : नवल शुक्ल
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए