प्रेम खो जाएगा

prem kho jayega

अशोक वाजपेयी

अशोक वाजपेयी

प्रेम खो जाएगा

अशोक वाजपेयी

और अधिकअशोक वाजपेयी

    जैसे प्रार्थना के शब्दों की शुद्धता में ईश्वर

    जैसे खिली धूप में पिछली बादल-घिरी शाम का अवसाद

    वैसे ही अपनी चाहत से बिलमकर

    प्रेम खो जाएगा

    हम छीलते रहेंगे मेज़ पर चुपचाप बैठे नारंगियाँ और यादें

    सपने काफ़ी होंगे शब्द

    अंत में नहीं बचेगी कोई मांगलिकता

    प्रेम खो जाएगा

    आकाश को अपनी बाँहों में भरने की कोशिश रह जाएगी

    रह जाएगी पृथ्वी के शस्य की तरह समृद्ध होने की इच्छा

    कविता जैसा निश्छल होने का उपक्रम

    गली पहले ही ख़त्म हो जाएगी

    दरवाज़े बंद

    धूप आने में असमर्थ

    बीतने के भय के अलावा कोई नहीं होगा साथ

    प्रेम खो जाएगा

    जीर्णोद्धार के लिए नहीं मिलेंगे औज़ार

    रफ़ू करने वाला धागा नहीं सूझेगा आँख को

    दृश्यालेख से हरियाली, पक्षी

    और बेंच पर हर दिन किसी देवता की तरह बैठा बूढ़ा

    ओझल हो जाएँगे

    प्रेम खो जाएगा...

    स्रोत :
    • पुस्तक : अब यहाँ नहीं (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : अशोक वाजपेयी
    • प्रकाशन : यात्रा बुक्स-पेंगुइन बुक्स
    • संस्करण : 2011

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