जइ धरतीपर प्रेम फुलै छै कुसमा आ सलहेसके
गीत गबै छी हँ हौ बगड़िया सैह तिरहुतिया देशके
जइ धरतीपर प्रेम फुलै छै कुसमा आ सलहेसके
गीत गबै छी हँ हे बहिनपा सैह तिरहुतिया देशके
पुरखासभ जे मिलि-जुलिकऽ पुरखारथ रोपलनि माटिमे
बाँटि लेने छी तकरो हमसभ छोट आ नम्हर जातिमे
सभ अपनाकेँ बूझय शम्भू क्यो ने गने गणेशके
गीत गबै छी हँ हौ बगड़िया सैह तिरहुतिया देशके
गौरवकेर हौदा झलकै छै जइ इतिहासक हाथीमे
तकरो नकुआ बनल छलैए धुथरे बापक भाथीमे
अजब ताल अछि, घूर तपै छी दुत्कारैत निङहेसके
गीत गबै छी हँ हे बहिनपा सैह तिरहुतिया देशके
नेहक खेतमे एना कियै हमसभ घिरना उपजाबै छी!
प्रातीक मिठगर भासमे मीता डहकन कियै सजाबै छी
सभटा अमरित चूबि रहल अछि, आबो जोगबी शेषके
गीत गबै छी हँ हौ बगड़िया सैह तिरहुतिया देशके
- पुस्तक : ई-मिथिला
- संपादक : बालमुकुन्द
- रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
- संस्करण : 2025
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.