बेंच पर बैठे आदमी के बने चित्र के पास

bench par baithe adami ke bane chitr ke pas

शिव कुमार गांधी

शिव कुमार गांधी

बेंच पर बैठे आदमी के बने चित्र के पास

शिव कुमार गांधी

और अधिकशिव कुमार गांधी

    बेंच पर बैठे आदमी के बने चित्र के पास बेंच पर एक आदमी बैठा था,

    मैं यूटर्न के बाद आटो के पैसे चुकाकर भविष्य में गिर रहा था

    और गिरते हुए के मेरे चित्र के पास तुम कुछ खोज रही थी

    चाँद की कलाओं में तुम्हें सारे जवाब नहीं मिलने थे

    जब तक तुम्हारी सारी शंकाए अपने जवाब खोजेगी

    मैं उसी बेंच पर बैठा चित्र के पास एक शिल्प में बदल जाऊँगा किसी घटती हुई शाम में

    चींटियाँ अपने घर में जा रही होगीं पक्षी लौट आएँगे अपने घोसलों में

    एक पक्षी के बगल में अनेक पक्षी एक चींटी के बगल में अनेक चींटियाँ

    एक घटकर ठहरी हुई शाम के नीम अँधेरे में बाहर सड़क से रही रोशनी में आँखें चमक के साथ दिखाई देंगी, कि क्या सिर्फ़ देखती हुई आँख बचेगी देखे हुए को

    मुझे भविष्य में जाकर गिरा हुआ गिरते गिरते भी स्लो मोशन में यहीं यूटर्न के कोण पर

    शंका आँख चित्र निराशा शिल्प लौटना और प्रतीक्षा दिखेगी,

    होंठ कुछ अधखुले होंगे हमेशा अनकहे में

    आशा नाम का प्रेम नहीं होने की निराशा में भी आस पास स्मृति के साथ कहीं लुकाछिपी खेल रहा होगा शायद जिसमें कलेजे की कंपकपांहट को छूकर पहचाना जा सकेगा

    जेब में तुम्हारा हाथ पकड़ने से आई नमी को थामें हाथ वहीं रखा होगा

    गला थोड़ा गर्म होगा रूंधा हुआ

    शाम के घने में तुम्हारे पसंदीदा रंग पीला और नीला दोनों एक साथ मौजूद होने की ज़िद में एक नया रंग बना रहे होंगे

    मज़ाक़ में मैंने कहा था तुमसे अतीत के सुदूर में कि देखो वह पक्षी जो उधर देख रहा है अभी अपने मन की इच्छा की शक्ति से उसे इधर देखता हुआ दिखाता हूँ

    देखा तो मेरी ओर भविष्य था, पक्षी तो बस हमें देखने के लिए मुड़ा था।

    जैसे कि भविष्य में गिरने वालों को वह पहले से जानता था और बाक़ी के सारे पक्षियों को बताता था भविष्य के बारे में जो कि हमारे ऊपर मँडराते थे हमारी बालकनी में आकर बैठते थे

    और अब उस बेंच पर बैठे आदमी की बग़ल में भी

    जो भविष्य में गिरे जाकर बुत होने की शक्ल तक भी पक्षियों को दाना खिलाती हुई उस-इस खेल से बेख़बर बच्ची की ओर देख रहा है चमकती हुई भीगी आँख से!

    स्रोत :
    • रचनाकार : शिव कुमार गांधी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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