स्तन

stan

पवन करण

पवन करण

स्तन

पवन करण

और अधिकपवन करण

     

    इच्छा होती तब वह धँसा लेता उनके बीच अपना सिर 
    और जब भरा हुआ होता तो उनमें छुपा लेता अपना मुँह 
    कर देता उन्हें अपने आँसुओं से तर 

    वह उससे कहता तुम यूँ ही बैठी रहो सामने 
    मैं इन्हें जी भर के देखना चाहता हूँ 
    और तब तक उन पर अपनी आँखें गड़ाए रहता 
    जब तक वह उठकर भाग नहीं जाती सामने से 
    या लजाकर अपने हाथों में छुपा नहीं लेती उन्हें 

    अंतरंग क्षणों में उन दोनों को 
    हाथों में थामकर वह उससे कहता 
    ये दोनों तुम्हारे पास अमानत हैं मेरी 
    मेरी ख़ुशियाँ, इन्हें सँभालकर रखना 

    वह उन दोनों को कभी शहद के छत्ते 
    तो कभी दशहरी आम की जोड़ी कहता 
    उनके बारे में उसकी बातें सुन-सुनकर बौराई 
    वह भी जब कभी खड़ी होकर आगे आईने के 
    इन्हें देखती अपलक तो झूम उठती 
    वह कई दफ़े सोचती इन दोनों को एक साथ 
    उसके मुँह में भर दे और मूँद ले अपनी आँखें 

    वह जब भी घर से निकलती इन दोनों पर 
    डाल ही लेती अपनी निगाह ऐसा करते हुए हमेशा 
    उसे कॉलेज में पढ़े बिहारी आते याद 
    उस वक़्त उस पर इनके बारे में 
    सुने गए का नशा हो जाता दो गुना 

    वह उसे कई दफ़े सबके बीच भी उनकी तरफ़ 
    कनखियों से देखता पकड़ लेती 
    वह शरारती पूछ भी लेता सब ठीक तो है 
    वह कहती, हाँ, जी हाँ
    घर पहुँचकर जाँच लेना 

    मगर रोग, ऐसा घुसा उसके भीतर
    कि उनमें से एक को लेकर ही हटा देह से 
    कोई उपाय भी न था सिवा इसके 
    उपचार ने उदास होते हुए समझाया 

    अब वह इस बचे हुए एक के बारे में 
    कुछ नहीं कहता उससे, वह उसकी तरफ़ देखता है 
    और रह जाता है, कसमसाकर 
    मगर उसे हर समय महसूस होता है 
    उसकी देह पर घूमते उसके हाथ 
    क्या ढूँढ़ रहे हैं, कि उस वक़्त वे 
    उसके मन से भी अधिक मायूस हैं 

    उस खो चुके के बारे में भले ही 
    एक-दूसरे से न कहते हों वह कुछ 
    मगर वह, विवश, जानती है 
    उसकी देह से उस एक के हट जाने से 
    कितना कुछ हट गया उनके बीच से
    _______________________________
    संगीता रंजन के लिए जिसे छाती के केंसर की वजह से अपना एक स्तन गँवाना पड़ा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : स्त्री मेरे भीतर (पृष्ठ 68)
    • रचनाकार : पवन करण
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए