बाघ आया उस रात

bagh aaya us raat

नागार्जुन

नागार्जुन

बाघ आया उस रात

नागार्जुन

और अधिकनागार्जुन

    “वो इधर से निकला

    उधर चला गया ऽऽ”

    वो आँखें फैलाकर

    बतला रहा था—

    “हाँ बाबा, बाघ आया उस रात,

    आप रात को बाहर निकलो!

    जाने कब बाघ फिर से जाए!”

    “हाँ, वो ही ही ही! वो ही जो

    उस झरने के पास रहता है

    वहाँ अपन दिन के वक़्त

    गए थे एक रोज़?

    बाघ उधर ही तो रहता है

    बाबा, उसके दो बच्चे हैं

    बाघिन सारा दिन पहरा देती है

    बाघ या तो सोता है

    या बच्चों से खेलता है...”

    दूसरा बालक बोला—

    “बाघ कहीं काम नहीं करता

    किसी दफ़्तर में

    कॉलेज में ऽऽ”

    छोटू बोला—

    “स्कूल में भी नहीं...”

    पाँच-साला बेटू ने

    हमें फिर से आगाह किया

    “अब रात को बाहर होकर बाथरूम जाना!”

    स्रोत :
    • पुस्तक : एनसीआरटी 5
    • रचनाकार : नागार्जुन
    • प्रकाशन : एनसीआरटी

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए