मोर्चे पर विदागीत

morche par widagit

विहाग वैभव

विहाग वैभव

मोर्चे पर विदागीत

विहाग वैभव

और अधिकविहाग वैभव

    उसके होंठ चूमना छोड़ते हुए

    उसके चेहरे को भर लिया अँजुरियों में

    और उसकी आँखों को पीते हुए मैंने कहा

    मैं मिलूँगा तुमसे

    तुम मुझे भूल मत जाना

    दिन, महीने, साल लाँघकर

    आऊँगा एक रोज़ अचानक

    तुम्हें गोदी में उठा लूँगा

    तब तुम्हारा चेहरा यक़ीनन

    किसी पहाड़ी फूल-सा ताज़ा और चमकदार हो जाएगा

    वह मुझे पनियाई आँख से देखती रही बस

    जैसे किसी को आख़िरी बार देखा जाता है

    मैंने उसे अपनी देह से छुड़ाते हुए सच कहा :

    मैं जा रहा हूँ उस युद्ध में

    जिसकी घोषणा किसी मौसम ने नहीं की

    जिसके बारे में कोई पीढ़ी नहीं सुनाएगी कहानियाँ

    जिसकी वीरता के क़िस्से सिर्फ़ शहीद हुए सिपाही कहेंगे और सुनेंगे

    यह युद्ध मेरे और मेरे राजा के बीच है

    मेरा उन्मादी राजा

    दुनिया की हर ख़ूबसूरत चीज़ को

    नेस्तनाबूद कर देने की योजनाओं में व्यस्त है

    हर प्रकार की स्वतंत्रता को वह चबा लेना चाहता है

    मनुष्यों को धर्म में बदल देना चाहता है

    लोगों के सिर से उनका मस्तिष्क ऐसे निकाल ले रहा है कि

    ख़ुद उन्हीं को कोई ख़बर नहीं हो रही

    राजा जिस भी रास्ते से गुज़र रहा है

    उधर की हवाओं में वही दुर्गंध फैल जा रही है

    जो लाखों-लाख इंसानों की लाशों के एक साथ जलने से आती है

    राजा ने एक ऐसे जानवर को गोद ले रखा है

    जो अपने अपूजकों की हत्या

    अपने स्पर्श भर से कर देने की काबिलियत के लिए मशहूर हो रहा है

    इतना ही नहीं

    मेरा क्रूर राजा

    तुम जैसी बेक़सूर प्रेमिकाओं को

    क़ैद करके

    किसी अनंत अँधेरे में फेंक भी देना चाहता है सदियों सदियों के लिए

    कि प्रेम कोई जघन्य अपराध हो

    मेरी बातों से वह और भी उदास हो गई

    उसका गला रुँधने लगा

    और उसकी ख़ूबसूरत आँखे भरभरा गईं

    वह समझ गई कि मैं लौटने के लिए माफ़ी माँग रहा हूँ

    जब मैं कह रहा हूँ :

    मैं मिलूँगा तुमसे

    मैंनें उसे हिम्मत बँधाई

    नहीं, वे मेरी हड्डियों में बारूद भर देंगे

    निकाल लेंगें मेरी आँखें

    कानों में उबलता तेल डालेंगे

    मेरे नाख़ूनों में कील ठोंककर तुम्हारा नाम पूछेंगे

    उस आख़िरी घड़ी में मैं तुम्हें याद करूँगा

    हृदय की असीम पवित्रता की दीवाल पर तुम्हारी मुस्कुराती तस्वीर देखकर

    वे बार-बार पूछेंगे नाम तुम्हारा

    और मैं मर जाऊँगा पर नहीं बताऊँगा

    तब वे जान जाएँगे

    यह अंत नहीं है

    मेरा जैसा दूसरा आएगा

    तीसरा, चौथा, पाँचवा और जाने कितने आएँगे

    जो अपनी प्रेमिका के लिए

    अपनी कल्पनाओं जितनी ख़ूबसूरत दुनिया चाहते हैं

    वह अब फफक उठी और धम्म से मुझसे चिपक गई

    मैंने मुस्कुराते हुए

    अपनी क़लम उठाई

    किताबों को पहना

    और कविताओं को पीठ पर लाद

    क़स्बा छोड़ने के पहले कहा :

    मैं नहीं भी लौटा तो मेरे जैसा दूसरा लौटेगा

    तुम उसे मेरे जितना ही प्यार करना

    वह उसका हक़दार होगा

    यूँ तो

    मैं मिलूँगा तुमसे

    साथियो! मेरा विदागीत यहीं ख़त्म होता है

    इस पेड़ को शुक्रिया कहो और चलो उठो

    हमें राजा को उसकी हवशी योजनाओं समेत दफ़्न कर देना है

    और समय रहते लौटना भी तो है

    अपनी-अपनी प्रेमिका की बाँहों में

    यह इतना कठिन भी नहीं है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विहाग वैभव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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