इक आग का दरिया है...

ek aag ka dariya hai

रमाशंकर यादव विद्रोही

रमाशंकर यादव विद्रोही

इक आग का दरिया है...

रमाशंकर यादव विद्रोही

और अधिकरमाशंकर यादव विद्रोही

    विरह मिलन है,

    मिलन विरह है,

    मिलन विरह का,

    विरह मिलन का ही जीवन है।

    मैं कवि हूँ

    और तीन-तीन बहनों का भाई हूँ,

    हल्दी, दूब और गले की हँसुली से चूम-चूम कर

    बहिनों ने मुझे प्यार करना सिखाया है।

    मैंने कभी नहीं सोचा था

    कि मेरे प्यार का सोता सूख जाएगा,

    कि मेरे प्रेम का दूर्वांकुर मुरझा जाएगा।

    लेकिन पूँजीवादी समाज की चौपालों

    और सामंतवादी समाज के दलालों!

    औरत का तन और मुर्दे का कफ़न

    बिकता हुआ देखकर

    मेरे प्यार का सोता सूख गया,

    मेरे प्रेम का दुर्वांकुर मुरझा गया।

    मैंने समझा प्यार व्याभिचार है,

    शादी बर्बाद है,

    लेकिन जब प्रथमदृष्टया मैंने तुमको देखा,

    तो मुझे लगा कि

    प्यार मर नहीं सकता

    वह मृत्यु से भी बलवान होता है।

    मैं तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता

    कि तुम बहुत सुंदर हो,

    और मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

    मैं तुम्हें इसलिए प्यार करता हूँ

    कि जब मैं तुम्हें देखता हूँ,

    तो मुझे लगता है कि क्रांति होगी।

    तुम्हारा सौंदर्य मुझे बिस्तर से समर की ओर ढकेलता है।

    और मेरे संघर्ष की भावना

    सैकड़ों तो क्या,

    सहस्त्रों गुना बढ़ जाती है।

    मैं सोचता हूँ

    कि तुम कहो तो मैं तलवार उठा लूँ,

    तुम कहो तो मैं दुनिया को पलट दूँ,

    तुम कहो तो मैं तुम्हारे क़दमों में जान दे दूँ,

    ताकि मेरा नाम इस दुनिया में रह जाए।

    मैं सोचता हूँ,

    तुम्हारे हाथों में बंदूक़ बहुत सुंदर लगेगी,

    और उसकी एक भी गोली

    बर्बाद नहीं जाएगी।

    वह वहीं लगेगी,

    जहाँ तुम मारोगी।

    लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए

    इससे भी सुंदर परिकल्पना है प्रिये!

    जब तुम्हें गोली लगेगी,

    और तुम्हारा ख़ून धरती पर बहेगा,

    तो क्रांति पागल की तरह उन्मत्त हो जाएगी,

    लाल झंडा लहराकर भहरा पड़ेगा

    दुश्मन के वक्षस्थल पर,

    और

    तब मैं तुम्हारा अकिंचन

    प्रेमी कवि—

    अपनी क़मीज़ फाड़कर

    तुम्हारे घावों पर महरमपट्टी करने के अलावा

    और क्या कर सकता हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नई खेती (पृष्ठ 120)
    • रचनाकार : रमाशंकर यादव विद्रोही
    • प्रकाशन : सांस, जसम
    • संस्करण : 2011

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