लोहे की ट्रंक

lohe ki trank

निर्मला तोदी

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लोहे की ट्रंक

निर्मला तोदी

और अधिकनिर्मला तोदी

     

    एक

    आज साल भर बाद दीवाली पर 
    खोल रही हूँ 
    मेरी बड़ी-सी लोहे की ट्रंक 

    सभी हँस रहे हैं
    लो, आज भानुमति का पिटारा खुला 
    सचमुच 

    सलोनी, हिमानी, रिद्धि... 
    तीनों की तीनों 
    बैठ गई हैं 
    इस पिटारे को घेरकर 

    रिद्धि पूछती है 
    नानी, ये गुलाबी फ़्रॉक...
    अरे वाह मैचिंग के जूते और टोपी भी है 
    किसकी है, मेरी है 

    अरे नहीं!
    यह तुम्हारी मम्मी का जामना* है 
    उसकी नानी ने भिजवाया था 
    हॉस्पिटल से आकर
    पहली बार नहलाकर नए कपड़े पहनाए गए थे 

    बहुत प्यारी लगी थी गुड़िया-सी 
    काजल की टिक्की दोनों हथेलियों पर 
    और पगथली पर 
    काजल का छोटा-सा चमचमाता चाँद माथे पर 
    वह कजलोटिया** भी पड़ा होगा इसी ट्रंक के 
    कहीं नीचे कोने-अंतरे में

    मैंने भी बनाई थी 
    सुंदर-सी गुलाबी फ़्रॉक तुम्हारे लिए 
    तुम्हारी मम्मी ने सँभालकर रखा होगा 
    मेरी परी का जामना 

    नानी! और तुम्हारा जामना?
    वह भी रखा होगा तुम्हारी मम्मी ने?
    मेरा जामना ज़रूर पड़ा होगा उस घर में 
    जो बरसों से बंद पड़ा है। 

    दो

    ट्रंक में पड़ी है 
    एक छोटी-सी पोटली 
    बिना खोले
    छूते ही 
    खनकने लगती है 
    इस पोटली में है ग्यारह सिक्के चाँदी के 
    रूमाल से भी छोटे टुकड़े में बँधे हुए 
    यह मेरी माँ की साड़ी का टुकड़ा है 
    पतला-सा कोटे का 

    माँ के पल्लू की गाँठ में 
    रेजकी बँधी होती थी 
    हम बहनें मनाकर फुसलाकर 
    खुलवाते वह गाँठ
    अब इस पोटली को छूते ही 
    जीभ पर 
    उस रेजकी से लाकर 
    खाई जलेबी का स्वाद आने लगता है 

    पोटली जस की तस 
    ट्रंक में रख देती हूँ 
    कपड़े का रंग फीका पड़ता जाता है 
    मोह बढ़ता जाता है।

    तीन

    और दादी यह लहँगा
    अब हिमानी कहती है 
    मैं पहनूँगी बड़ी होकर 
    तुम्हारी शादी का लहँगा 
    अपनी दोस्त की शादी में 
    और इसके साथ आपस में तीनों के शुरू होते हैं 
    ढेरों सवाल-जवाब, खिलखिल 
    मेरे पास भी इनके जवाब हैं 
    बस मैं ही नहीं हूँ 
    वहाँ उस समय 
    सवाल-जवाब बज रहे हैं कानों में 
    मैं बहुत-बहुत पीछे 

    माँ की पृथ्वी पर 
    एक दूसरी सदी में।
    ____________

    *जामना—बच्चे को नहलाकर पहनाया जाने वाला कपड़ा जो नानी घर से आता है।
    **कजलोटिया—काजल बनानेवाला पात्र।

    स्रोत :
    • रचनाकार : निर्मला तोदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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