कौन जानता है?

kaun janta hai?

दिव्या श्री

दिव्या श्री

कौन जानता है?

दिव्या श्री

और अधिकदिव्या श्री

    सबसे पहला ख़त शब्दों से नहीं

    स्पर्शों से लिखा गया

    उसमें अक्षर नहीं भाव थे

    देह नहीं आत्मा थी

    साथ नहीं प्रेम था

    मैंने पहले ही ख़त में कर दी चूक

    प्रेम की जगह दुःख लिखकर

    गोया दुखद ही रहा मेरा जीवन

    ख़त लिखने की उम्र में मैंने कविताएँ लिखीं

    कविताओं में प्रेम की जगह

    स्त्री-अस्मिता की बात कही

    जब उम्र ख़त लिखने की नहीं रही

    दूर बैठा प्रेमी वक़्त-बेवक़्त याद आने लगा

    वर्षों पहले हम एक-दूसरे से दूर हुए थे

    कविताओं ने हमारी दूरियों में भी एक नई जगह पैदा कर दी थी

    दुनिया कहती है कवि ज़िंदा रहते हैं अपने शब्दों में

    कविताएँ कवि के मरने के बाद ज़िंदा रहती हैं यदा-कदा

    पर यक़ीनन कवि अपनी कविताओं में कितनी बार मरता है

    यह कौन जानता है?

    मेरी कविताएँ मेरी मृत्यु से शापित हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : दिव्या श्री
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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