वह आदमी बस के इंतज़ार में

wo adami bus ke intzar mein

लाल्टू

लाल्टू

वह आदमी बस के इंतज़ार में

लाल्टू

और अधिकलाल्टू

    वह आदमी बस के इंतज़ार में

    सड़क के तक़रीबन बीचोंबीच खड़ा है

    वह आदमी बीड़ी पी चुका है और

    अब ज़रा-सा हटकर थूक रहा है

    वह आदमी मोपेड पर बैठा

    अपनी हो सकती प्रेमिका के साथ

    हँस कर बात कर रहा है वह आदमी

    किताब बग़ल में थामे सोच रहा है कि

    कितना अच्छा है कि

    शहरीकरण से मजबूर हो जाते हैं

    लोग कुछ देर के लिए सही जात-पात भूलने को

    वह आदमी भीड़ से चिढ़ते हुए बढ़ रहा

    क़दम-क़दम वह आदमी थक चुका है

    इतने सारे आदमियों से और बना है

    आकाश समेट लिया है उसने सभी

    आदमियों को अपने घेरे में

    बस आती है तो अकेली नहीं

    दुकेली आती है दो बसों में चढ़ते हैं

    आदमी दो बसों से उतरते हैं आदमी

    आकाश बना आदमी देखता है

    आदमी इधर आदमी उधर

    फैलाता है ज़रा-सा और अँधेरी चादर

    आदमी बस के इंतज़ार में

    सड़क के तक़रीबन बीचोंबीच खड़ा है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : लाल्टू
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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