कोरोना वायरस और शिन्निन क्वायलो

korona wirus aur shinnin kwaylo

देवेश पथ सारिया

देवेश पथ सारिया

कोरोना वायरस और शिन्निन क्वायलो

देवेश पथ सारिया

और अधिकदेवेश पथ सारिया

     

    कोरोना वायरस फैला रहा है अपने अदृश्य पाँव
    और आदमी, आदमी को संदेह की दृष्टि से देखता है

    इन दिनों दुनिया के इस हिस्से में
    चीनी नव वर्ष की शुरुआत थी
    छुट्टियाँ थीं
    लोग यात्राएँ कर रहे थे
    रिश्तेदारों से मिलने जा रहे थे
    देवताओं और पूर्वजों के लिए भेंट
    अर्पित कर रहे थे
    मंदिरों की चिमनियों में जलाकर

    इक्का-दुक्का दुकानों को छोड़कर
    बंद था सारा बाज़ार
    इसी बीच ज़ोर पकड़ा
    कोरोना वायरस के फैलने की सरगर्मी ने
    और अचानक कोरोना वायरस की वजह से
    सब जल्दी-जल्दी जानने लगे रोकथाम के उपाय

    पहला उपाय था
    मास्क लगाकर बाहर निकलना
    जितनी दुकानें खुली थीं
    और जो खुलती जा रही हैं
    चीनी नव वर्ष की छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद
    सब जगह से ख़त्म हो चुके हैं फेस-मास्क

    जैसे कि हर इंसान एक चलता फिरता चाक़ू है
    आदमी, कोरोना वायरस का संदेहास्पद वाहक
    जो साँस छोड़ेगा और धँसा देगा चाक़ू

    चूँकि हवा आदमी को छूकर गुज़रती है
    संदेहास्पद है हवा भी
    क्या पता कब कोई छींक कर गुज़रा हो वहाँ से
    और अभी तक मौजूद हों छींक की छींटें
    संदेह मिटाने के तमाम संदेशों के बावजूद
    अफ़वाहों वाले वीडियो ज़्यादा कारगर साबित हुए हैं
    इन अफ़वाहों से अछूता नहीं है मेरा अपना देश
    मेरे मित्रों, रिश्तेदारों की चिंताएँ मुझसे बड़ी हैं

    मैं धोता हूँ बार-बार साबुन से‌ हाथ
    कमरे में रखी चीज़ों पर भी शक होता है
    कि कहीं से उड़कर वायरस चिपक कर न आ बैठा हो

    हर चीज़ छूने के बाद
    कुछ भी खाने से पहले
    बार-बार धोता हूँ हाथ
    और फिर संदेह से देखता हूँ हैंडवॉश की बोतल को भी
    एक हाथ को संदेह है, दूसरे हाथ पर

    एक रेस्त्राँ में देखा
    कि लोग मुँह पर मास्क लगाए खाना खा रहे हैं
    सिर्फ़ मुँह में चॉपस्टिक डालने के समय
    होठों से मास्क सरका देते हुए

    मुझे फ़िक्र होती है
    उन लोगों की जो पब्लिक सर्विस में है
    बसों के ड्राइवर
    सेवन इलेवन पर काम करने वाले लड़के-लड़कियाँ
    जो पूरे दिन अनजान लोगों के संपर्क में आते हैं
    अनजान लोग जो चीनी नव वर्ष की छुट्टियाँ बिताकर
    न जाने कहाँ-कहाँ से आए हों
    जाने कौन-सी बीमारियाँ साथ ले आए हों
    पब्लिक सर्विस में लगे ये लोग
    जिनके कमरे में मेरी तरह घुग्घु बनकर बैठ जाने से
    ठप्प पड़ जाएगा यह शहर, यह देश
    मुझे फ़िक्र है अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सों की
    जो 'चाक़ू की धार' को सहलाकर दुरुस्त कर रहे हैं

    चीनी नव वर्ष के दौरान दुकानें बंद रहने से
    ख़त्म हो गया है कमरे का बहुत-सा सामान
    इसे ख़रीदने मुझे वापस जाना था मार्ट
    और मैं सुबह-सुबह ही निकल जाता हूँ
    ताकि बचा जा सके भीड़ से
    जितनी कम भीड़, उतने कम खुले चाक़ू
    उतना कम वायरस का ख़तरा
    पर मार्ट पहुँचकर देखता हूँ
    मेरी ही तरह बहुत से सयाने लोगों की भीड़
    सुबह-सुबह ही चली आई है मार्ट

    मार्ट के दरवाज़े पर खड़े गार्ड को देखता हूँ
    और अंदाज़ा लगाता हूँ उसके काम की कठिनता का
    यह भी कि साल भर की सबसे बड़ी छुट्टियों के बाद
    काम पर वापस लौटकर
    वह भी इस ख़तरे के बीच
    कैसा लग रहा होगा उसे
    मैं उसके लिए कुछ नहीं कर सकता
    इसलिए मैं मास्क लगाए हुए ही उसकी तरफ़ देख मुस्कुराता हूँ
    मास्क के पीछे छुपी मेरी मुस्कुराहट की मंशा
    पहचान जाता है वह
    और बदले में अपने मास्क के पीछे से मुस्कुराता है

    माना कि कोरोना वायरस मुख्य ख़बर है
    पर इस देश में चूहे का नव वर्ष भी तो है
    इसलिए शिन्निन क्वायलो1 मेरे दोस्तो,
    हम जल्द वापसी करेंगे
    संदेह से भरोसे की ओर
    हम सिर्फ़ मनुष्य होंगे
    खुले चाक़ू नहीं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : देवेश पथ सारिया
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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