पीसा की झुकी मीनार पर

pisa ki jhuki minar par

देवेश पथ सारिया

देवेश पथ सारिया

पीसा की झुकी मीनार पर

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    कोई उसे धक्का मारकर

    टेढ़ी कर देने का श्रेय लेना चाहता था

    कोई जुड़ जाना चाहता था उछलकर

    सूरज और मीनार को जोड़ती काल्पनिक सरल रेखा से

    किसी ने कोशिश की उसे अँगूठे से दबा देने की

    किसी ने आइसक्रीम के शंकु में भर खा जाने की

    ट्रिक फ़ोटॉग्राफी करने में जुटे सैलानियों के बीच

    मैं विराटता महसूस कर रहा था

    पीसा की झुकी मीनार की

    अष्टावक्र के एक वक्र सी झुकी

    उस मीनार के सामने मेरे पहुँच जाने में

    संयोग था तो बस इतना

    कि फ़्रांस के उस शहर नीस से

    जहाँ मैं काम से गया था

    बहुत दूर नहीं था इटली का पीसा शहर

    इतना दूर तो हरगिज़ नहीं

    कि उन्नीस साल का इंतज़ार उसके सामने घुटने तक दे

    और बचपन में स्वयं से किए वादे को पूरा करने के लिए

    मैं फूँक ही सकता था

    बचाई हुई कुछ रक़म

    उन्नीस साल पहले

    नवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान

    पढ़ा था मैंने गैलीलियो का वह प्रसिद्ध प्रयोग

    वस्तुओं के द्रव्यमान और पृथ्वी के गुरुत्व के बारे में

    जो पीसा की इसी झुकी मीनार से किया गया था

    तभी मेरी ख़ुद के साथ एक महत्त्वपूर्ण बैठक के दौरान

    यह तय हुआ था कि मुझे जाना है पीसा

    झुकी मीनार पर चढ़ना है

    हालाँकि तब मेरे पास नहीं होते थे

    साइकिल का पंक्चर जुड़वाने के भी पैसे

    और कई बार जुगाड़* के पीछे लटककर जाता था मैं स्कूल

    यह जानकर

    कि जब तक मीनार के द्रव्यमान केंद्र से डाला गया लंब

    गिरता रहेगा आधार पर मीनार के

    तब तक ही खड़ी रहेगी मीनार

    मैं करता रहा हूँ

    पीसा की मिट्टी की पकड़ मज़बूत होने की प्रार्थना

    मीनार तक पहुँचना

    मेरी प्रार्थनाओं और अदम्य कोशिशों का फल था

    मीनार के ऊपर चमकता वह सूरज

    किताबों और टेलिस्कोप डोम में किए

    सर्द रतजगों के बाद हुआ था नसीब

    चढ़ते हुए मीनार की सँकरी सीढ़ियाँ

    मैंने हवा में तैरता हुआ महसूस किया

    गैलीलियो का झीने परदे जैसा अस्तित्व

    बीच से घिस चुके सीढ़ियों के पत्थरों पर

    मैंने ढूँढ़ा उन्हें घिसने में गैलीलियो के पाँवों का योगदान

    यह उम्मीद रखते हुए

    कि चार सौ साल से ज़्यादा के इतिहास में

    काश कि बदले गए हों सीढ़ियों के पत्थर

    मैं नहीं जानता कि

    गुरुत्व के अपने प्रयोग के बाद महान गैलीलियो

    मीनार के ऊपर से हँसे होंगे या रहे होंगे अविचल

    यूँ भी दुनिया के सामने सिद्ध करने से पहले

    वे स्वयं तो जानते ही थे निपट सच, गुरुत्व के उस पहलू का

    वैसे भी यह नहीं था गैलीलियो का एकमात्र प्रयोग

    यह एक पड़ाव भर था उनकी अनगिनत उपलब्धियों की यात्रा का

    कभी किसी उदासी के दौर में

    जब दबाया बजा रहा था विज्ञान को पोंगी आवाज़ों के द्वारा

    शायद कभी उदास बैठने आए हों गैलीलियो मीनार पर

    तब शायद हँसे हों वे पूरी दुनिया की मूर्खता पर

    मीनार की दीवार से पीठ सटाकर

    या, हँसते-हँसते चढ़ी हों मीनार की सीढ़ियाँ शायद

    उन्हीं सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद

    लटके हुए, बड़े-से ऐतिहासिक घंटे के सामने

    चुपचाप चला आया था मेरे सामने

    कितने ही जीवित बिंबों का सैलाब

    कुछ मेरे हिस्से का इतिहास

    कुछ गैलीलियो के बारे में पठित-कल्पित का फ़्यूजन

    पीसा की झुकी मीनार के सबसे ऊपर पहुँचकर

    मैं तनकर नहीं खड़ा था, ज़रा-सा भी

    मेरी आँखें थीं नम

    और मैं फ़िर नवीं कक्षा में था।

    *जुगाड़ : लकड़ी के तख़्तों और इंजन से जुगाड़ करके बनाया गया एक वाहन जो कि राजस्थान एवं अन्य समीपवर्ती प्रदेशों के गाँव में प्रयुक्त होता है। मेरे क़स्बे में इसे 'लकड़बग्घा' भी कहा जाता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : देवेश पथ सारिया
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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