कितना मुश्किल और कितना आसान

kitna mushkil aur kitna asan

नीलाभ अश्क

नीलाभ अश्क

कितना मुश्किल और कितना आसान

नीलाभ अश्क

और अधिकनीलाभ अश्क

     

    ज्ञानरंजन के लिए

    कितना मुश्किल था उस धागे को तोड़ना
    और कितना आसान
    तब, जब सहसा साँझ हुई
    हम मुड़े और अपने-अपने रास्तों पर चले गए

    यह तो आख़िरकार होना ही था
    इतने सारे टूटते हुए धागों के बीच
    यह एक नाज़ुक-सा रिश्ता कितने दिन टिकता
    छिल जाते चाहे जिस्म और मन 
    अलग होने पर।

    चुपचाप,
    ख़ामोश,
    मुड़े हम
    और अपने-अपने रास्तों पर चले गए

    एक समय था
    जब महसूस करता था मैं
    तुम्हारे क़दमों की आहट अपने क़दमों के साथ-साथ
    अपने हाथों में तुम्हारा, गर्मजोशी से भरा हुआ हाथ
    अपनी आँखों में तुम्हारी आँखें 
    और तुम्हारी निष्कंप पुतलियों से
    छन कर आता हुआ विश्वास
    अपनी रगों में हल्के, गर्माते-हुए ख़ून का एहसास

    मुझे याद हो तुम, अब तक
    मत समझो कि मैं तुम्हें भूल गया हूँ
    अपमान की तरह
    जो अब भी मुझे सालता है
    लोग हैं मेरे चारों ओर
    और तुम
    जैसे बहुत-सी अजनबी तस्वीरों में
    कोई एक अस्पष्ट-सा चेहरा
    पहचाना-सा लगे

    शायद तुम वहाँ, दाईं ओर खड़े हो
    अपने चेहरे की अपार निश्छलता से अनजान
    या वहाँ... हाँ...
    देखो उन बच्चों के पीछे से
    कौन हिला रहा है हाथ
    वह शायद तुम हो... शायद... पता नहीं...

    कैसे हम धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूर चले गए हैं
    कैसे हम एक-दूसरे के लिए अजनबी हो गए हैं

    कहीं एक दीवार है
    उगती हुई धीरे-धीरे
    दिमाग़ के एहसास वाले हिस्से पर
    टेढ़ी-मेढ़ी दीवार :
    बाँटती हुई गलियाँ, रिश्ते और घर
    और वह इस धागे से ज़्यादा मज़बूत है

    इस सर्द कोहरे में लगातार
    मैं टटोलता हूँ तुम्हारा हाथ
    या शायद हाथ का एहसास

    छोटी-सी बात की कितनी तेज़ है धार
    कि ज़ख़्म रह जाता है
    केने के लाल फूल की तरह
    छोटी-सी भूल की तरह
    निरंतर सुलगता हुआ

    और नसों के लगातार खिंचने से—
    जैसे एक जाल खींच कर दिमाग़ पर फैला दिया जाए
    जिसके पार आज़ाद हो मित्रता, दृढ़ हो विश्वास—
    नसों के लगातार खिंचने से
    आदमी हमेशा-हमेशा के लिए
    बंदी हो जाता है
    अपने अकेलेपन का।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल जमा-1 (पृष्ठ 143)
    • रचनाकार : नीलाभ
    • प्रकाशन : शब्द प्रकाशन
    • संस्करण : 2012

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