अम्न का राग

amn ka rag

शमशेर बहादुर सिंह

और अधिकशमशेर बहादुर सिंह

    सच्चाइयाँ

    जो गंगा के गोमुख से मोती की तरह बिखरती रहती हैं

    हिमालय की बर्फ़ीली चोटी पर चाँदी के उन्मुक्त नाचते

    परों में झिलमिलाती रहती हैं

    जो एक हज़ार रंगों के मोतियों का खिलखिलाता समंदर है

    उमंगों से भरी फूलों की जवान कश्तियाँ

    कि वसंत के नए प्रभात सागर में छोड़ दी गई हैं।

    ये पूरब पश्चिम मेरी आत्मा के ताने-बाने हैं

    मैंने एशिया की सतरंगी किरनों को अपनी दिशाओं के गिर्द

    लपेट लिया

    और मैं यूरोप और अमरीका की नर्म आँच की धूप-छाँव

    पर

    बहुत हौले-हौले नाच रहा हूँ

    सब संस्कृतियाँ मेरे सरगम में विभोर हैं

    क्योंकि मैं हृदय की सच्ची सुख-शांति का राग हूँ

    बहुत आदिम, बहुत अभिनव।

    हम एक साथ उषा के मधुर अधर बन उठे

    सुलग उठे हैं

    सब एक साथ ढाई अरब धड़कनों में बज उठे हैं

    सिम्फ़ोनिक आनंद की तरह

    यह हमारी गाती हुई एकता

    संसार के पंच परमेश्वर का मुकुट पहन

    अमरता के सिंहासन पर आज हमारा अखिल लोक-प्रेसिडेंट

    बन उठी है।

    देखो हक़ीक़त हमारे समय की कि जिसमें

    होमर एक हिंदी कवि सरदार जाफ़री को

    इशारे से अपने क़रीब बुला रहा है

    कि जिसमें

    फ़ैयाज़ ख़ाँ बिटाफ़ेन के कान में कुछ कह रहा है

    मैंने समझा कि संगीत की कोई अमर लता हिल उठी

    मैं शेक्सपियर का ऊँचा माथा उज्जैन की घाटियों में

    झलकता हुआ देख रहा हूँ

    और कालिदास को वैमर के कुंजों में विहार करते

    और आज तो मेरा टैगोर मेरा हाफ़िज़ मेरा तुलसी मेरा

    ग़ालिब

    एक-एक मेरे दिल के जगमग पावर हाउस का

    कुशल आपरेटर है।

    आज सब तुम्हारे ही लिए शांति का युग चाहते हैं

    मेरी कुटूबुटू

    तुम्हारे ही लिए मेरे प्रतिभाशाली भाई तेजबहादुर

    मेरे गुलाब की कलियों से हँसते-खेलते बच्चों

    तुम्हारे ही लिए, तुम्हारे ही लिए

    मेरे दोस्तो, जिनसे ज़िंदगी में मानी पैदा होते हैं

    और उस निश्छल प्रेम के लिए

    जो माँ की मूर्ति है

    और उस अमर परमशक्ति के लिए जो पिता का रूप है।

    हर घर में सुख

    शांति का युग

    हर छोटा-बड़ा हर नया-पुराना आज-कल-परसों के

    आगे और पीछे का युग

    शांति की स्निग्ध कला में डूबा हुआ

    क्योंकि इसी कला का नाम जीवन की भरी-पूरी गति है।

    मुझे अमरीका का लिबर्टी स्टैचू उतना ही प्यारा है

    जितना मास्को का लाल तारा

    और मेरे दिल में पेकिंग का स्वर्गीय महल

    मक्का मदीना से कम पिवत्र नहीं

    मैं काशी में उन आर्यों का शंखनाद सुनता हूँ

    जो वोल्गा से आए

    मेरी देहली में प्रह्लाद की तपस्याएँ दोनों दुनियाओं की

    चौखट पर

    युद्ध के हिरण्यकश्यप को चीर रही हैं।

    यह कौन मेरी धरती की शांति की आत्मा पर क़ुरबान हो गया है

    अभी सत्य की खोज तो बाक़ी ही थी

    यह एक विशाल अनुभव की चीनी दीवार

    उठती ही बढ़ती रही है

    उसकी ईंटें धड़कते हुए सुर्ख़ दिल हैं

    यह सच्चाइयाँ बहुत गहरी नींवों में जाग रही हैं

    वह इतिहास की अनुभूतियाँ हैं

    मैंने सोवियत यूसुफ़ के सीने पर कान रखकर सुना है।

    आज मैंने गोर्की को होरी के आँगन में देखा

    और ताज के साए में राजर्षि कुंग को पाया

    लिंकन के हाथ में हाथ दिए हुए

    और तालस्ताय मेरे देहाती यूपियन होंठों से बोल उठा

    और अरागों की आँखों में नया इतिहास

    मेरे दिल की कहानी की सुर्ख़ी बन गया

    मैं जोश की वह मस्ती हूँ जो नेरुदा की भवों से

    जाम की तरह टकराती है

    वह मेरा नेरुदा जो दुनिया के शांति पोस्ट आफ़िस का

    प्यारा और सच्चा क़ासिद

    वह मेरा जोश कि दुनिया का मस्त आशिक़

    मैं पंत के कुमार छायावादी सावन-भादों की चोट हूँ

    हिलोर लेते वर्ष पर

    मैं निराला के राम का एक आँसू

    जो तीसरे महायुद्ध के कठिन लौह पर्दों को

    एटमी सुई-सा पार कर गया पाताल तक

    और वहीं उसको रोक दिया

    मैं सिर्फ़ एक महान विजय का इंदीवर जनता की आँख में

    जो शांति की पवित्रतम आत्मा है।

    पच्छिम में काले और सफ़ेद फूल हैं और पूरब में पीले

    और लाल

    उत्तर में नीले कई रंग के और हमारे यहाँ चंपई-साँवले

    और दुनिया में हरियाली कहाँ नहीं

    जहाँ भी आसमान बादलों से ज़रा भी पोंछे जाते हों

    और आज गुलदस्तों में रंग-रंग के फूल सजे हुए हैं

    और आसमान इन ख़ुशियों का आईना है।

    आज न्यूयार्क के स्काईस्क्रेपरों पर

    शांति के ‘डवों’ और उसके राजहंसों ने

    एक मीठे उजले सुख का हलका-सा अँधेरा

    और शोर पैदा कर दिया है।

    और अब वो आर्जंटीना की सिम्त अतलांतिक को पार

    कर

    रहे हैं

    पाल राब्सन ने नई दिल्ली से नए अमरीका की

    एक विशाल सिम्फ़नी ब्राडकास्ट की है

    और उदयशंकर ने दक्षिणी अफ़्रीका में नई अजंता को

    स्टेज पर उतारा है

    यह महान नृत्य वह महान स्वर कला और संगीत

    मेरा है यानी हर अदना से अदना इंसान का

    बिल्कुल अपना निजी।

    युद्ध के नक़्शों को क़ैंची से काटकर कोरियाई बच्चों ने

    झिलमिली फूलपत्तों की रौशन फ़ानूसें बना ली हैं

    और हथियारों का स्टील और लोहा हज़ारों

    देशों को एक-दूसरे से मिलाने वाली रेलों के जाल में बिछ

    गया है

    और ये बच्चे उन पर दौड़ती हुई रेलों के डिब्बों की

    खिड़कियों से

    हमारी ओर झाँक रहे हैं

    यह फ़ौलाद और लोहा खिलौनों मिठाइयों और किताबों

    से लदे स्टीमरों के रूप में

    नदियों की सार्थक सजावट बन गया है

    या विशाल ट्रैक्टर-कम्बाई और फ़ैक्टरी-मशीनों के

    हृदय में

    नवीन छंद और लय का प्रयोग कर रहा है।

    यह सुख का भविष्य शांति की आँखों में ही वर्तमान है

    इन आँखों से हम सब अपनी उम्मीदों की आँखें सेंक

    रहे हैं

    ये आँखें हमारे दिल में रौशन और हमारी पूजा का

    फूल हैं

    ये आँखें हमारे क़ानून का सही चमकता हुआ मतलब

    और हमारे अधिकारों की ज्योति से भरी शक्ति हैं

    ये आँखें हमारे माता-पिता की आत्मा और हमारे बच्चों

    का दिल हैं

    ये आँखें हमारे इतिहास की वाणी

    और हमारी कला का सच्चा सपना हैं

    ये आँखें हमारा अपना नूर और पवित्रता हैं

    ये आँखें ही अमर सपनों की हक़ीक़त और

    हक़ीक़त का अमर सपना हैं

    इनको देख पाना ही अपने आपको देख पाना है, समझ

    पाना है।

    हम मनाते हैं कि हमारे नेता इनको देख रहे हों।

    स्रोत :
    • पुस्तक : टूटी हुई, बिखरी हुई (पृष्ठ 83)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : शमशेर बहादुर सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए