आदिवासी प्रेमी युगल

adiwasi premi yugal

जोशना बैनर्जी आडवानी

जोशना बैनर्जी आडवानी

आदिवासी प्रेमी युगल

जोशना बैनर्जी आडवानी

और अधिकजोशना बैनर्जी आडवानी

    वह झारखंड ज़िले के संथल से

    बत्तीस किलोमीटर दूर ऊसर भूमि

    पर वास करती है

    आँखों में वहनि-सा तेज

    सूरत से शतावरी

    मंदाकिनी-से होंठ

    काकपाली-सी आवाज़

    जंगली पुष्पों के आभूषण पहन

    शिलिमुख बन धँस जाती है

    नवयुवकों की छाती में

    और वह... श्याम वर्ण ओढ़े

    जब अपने समुदाय संग

    तटिनि पार करता है तो

    सुरम्य लगता है

    शोभन वाटिका रचने की चाह में

    देवो ने आदिवासियो का खेड़ा रचा

    आदिवासी मानवों की श्रेणी के

    सबसे शिथिल एवं वसुतुल्य

    काननवासी हैं

    इसी दल में जन्मी दो देहों ने

    प्रेम के लावण्य से और चक्षु के

    क्रोशिए से फुलकारी बुनी है

    उनके पास कोई तकनीकी यंत्र नहीं

    जिसमें वह दिन-रात प्रेम-पुष्कर में नहान करें

    वरन् उनकी धरणी ही एकमात्र सूत है जो दोनों को

    समेटता है समीप

    दलछाल की चटनी बना

    वह अपने प्रेयस को खिलाती है

    सबसे छिपकर

    और वह उसे भेंट करता है

    जंगली बैंगनी पुष्प

    जिसे पाकर वह इंद्राणी-सी इठलाती है

    रात्रि जलसे में वे दोनों जब

    नृत्य करते हैं तो चंद्रमा भी

    सोलह कलाओं से

    परिपूर्ण हो दमकता है

    कामदेव के गन्ने के धनुष से आहत हैं दोनों

    प्रेम के सातों आसमानों की

    सबसे ऊपरी तह के बादल पर

    विराजित हो विचरण करते हैं

    वे अपने प्रेय के लिए

    बाँस, टहनी और फूलों से

    फूलमहल गणना चाहता है

    मोक्षदायिनी देवी की प्रार्थना में

    रख आया है मन की बात

    और वह ख़ुद को विसर्जित कर

    देना चाहती है उसके प्रेम-पोखर में

    उसकी अंतिम स्मृति में

    केवल उसके प्रेयस का वास है

    हाँ... उसका प्रेयस

    पीली तपन में

    सुरमई सौम्य बयार के समान

    छुपी ओट से टकटक करती

    परिकल्पना के समान

    उन जंगली गुफाओं में

    अँधेरों की आँखें मद्धम

    उजाला कर शरण देती हैं

    प्रेमी युगल को

    उनके पैरों तले लाल मिट्टी

    उर्वरक बनकर बेलें खींच देती है

    जहाँ वे दोनों

    वहीं प्रणय की शहनाई

    वे कभी एक होंगे या नहीं

    यह देवों का निष्कर्ष

    वर्तमान ही उनकी मज़बूत शाखें

    जिन पर झूल उनके पेटों में

    गिलहरियाँ और तितलियाँ

    फर-झड़ करते हैं

    एक दूसरे की जालीदार ओट हैं

    वे आदिवासी प्रेमी युगल...

    स्रोत :
    • रचनाकार : जोशना बैनर्जी आडवानी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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