हीरोइन

heroine

हरि मृदुल

हरि मृदुल

हीरोइन

हरि मृदुल

और अधिकहरि मृदुल

    आज मौक़ा मिला उसे

    कुछ देर ठहर कर सोचने का

    अभिनय-करियर के बारे में नहीं

    उस दुनिया के बारे में जिसे वह

    अपने माँ-बाप, भाई और दो बहनों को सौंपकर

    मायानगरी चली आई थी

    वह किसी वेगवान पहाड़ी नदी की तरह थी

    लेकिन उसे रोकने की काफ़ी कोशिशें हुईं

    यह अलग बात है कि उसे किसी भी विधि रोका जा सका

    रास्ता बड़ा टेढ़ा-मेढ़ा था

    बहुत-सी बाधाएँ

    बड़ी गंदगी भी

    लेकिन नहीं की किसी बात की परवाह

    रास्ते में जितना मैल मिला

    धोती आई बदस्तूर

    बड़ी दूर से आई थी

    थोड़ी देर से भी

    परंतु क़दम जम ही गए

    फैलती और फलती चली गई...

    पता नहीं उस सीन में वह कौन-सा संवाद था

    या कोई ख़ास शब्द

    जिसने उसे बेचैन कर दिया

    रीटेक पर रीटेक होने के बाद

    जैसे-तैसे सीन पूरा हुआ

    तो आँखों में आँसू भर वह सीधे

    सामने खड़ी मेकअप वैन के भीतर चली गई

    हीरो हैरान

    निर्देशक टेंशन में

    निर्माता परेशान

    आख़िर किस बात पर हीरोइन नाराज़ हो गई

    कुछ समझ में भी तो आए

    सब मौन

    मेकअप धुल चुका था

    आँसुओं से

    रुलाई थी कि अभी तक दब नहीं पा रही थी

    कान लगाने पर वैन के बाहर तक सिसकियाँ

    सुनाई दे रही थीं

    इस अप्रत्याशित घटना पर फ़िल्मी रिपोर्टर भी अवाक्

    जिसकी कल्पना भी की थी

    एक ऐसा दृश्य

    लगभग फुसफुसाते हुए बुज़ुर्ग मेकअप दादा ने कहा

    इसी बीच—

    आज मौक़ा मिला उसे

    कुछ देर ठहर कर सोचने का

    अभिनय-करियर के बारे में नहीं

    उस दुनिया के बारे में जिसे वह

    अपने माँ-बाप, भाई और दो बहनों को सौंपकर

    मायानगरी चली आई थी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरि मृदुल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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