ईश्वर से अधिक हूँ

ishwar se adhik hoon

नवल शुक्ल

नवल शुक्ल

ईश्वर से अधिक हूँ

नवल शुक्ल

और अधिकनवल शुक्ल

    एक पूरी आत्मा के साथ

    एक पूरी देह हूँ मैं

    जिसे धारण करते हैं ईश्वर कभी-कभी

    मैं एक आत्मा

    एक देह

    एक ईश्वर से अधिक हूँ।

    ईश्वर युगों में सुध लेते हैं

    इस पृथ्वी की

    इस पृथ्वी के किसी भू-भाग पर

    जनम लेते, करते हैं लीलाएँ

    और अंतर्ध्यान हो जाते हैं

    यहाँ अपने रहने की क्षमता से बहुत पहले।

    मैं ऐसा नहीं कर पाता हूँ

    किसी भी जगह पर जन्म लेकर

    पूरे ब्रह्मांड के लिए सोचता हूँ

    अपनी क्षमता से अधिक रहने की कोशिश करता हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दसों दिशाओं में (पृष्ठ 41)
    • रचनाकार : नवल शुक्ल
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

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