गोलियाँ चलने से पहले

goliyan chalne se pahle

संजय चतुर्वेदी

संजय चतुर्वेदी

गोलियाँ चलने से पहले

संजय चतुर्वेदी

और अधिकसंजय चतुर्वेदी

    हर मूर्ख अपने आपको तपस्वी समझता है

    हर लफ़ंगा मनीषी

    मुझे चाहकर भी ग़लतफ़हमी नहीं हो पाई

    मैं सिर्फ़ एक मूर्ख लफ़ंगे की तरह नमूदार हुआ

    दुनिया के पापों और पुण्यों के बीच अपनी जगह बनाने के लिए

    मैंने क्रिश्चियन को केवल क्रिश्चियन कहा

    मिशनरी को केवल मिशनरी

    मैंने मक्का मदीना जाने का मन बना लिया पक्के तौर पर

    लेकिन मेरी काफ़िरी को देखते

    मेरे मुस्लिम दोस्तों ने ऐसा करने की सलाह दी

    फिर मैंने करबला जाने की कोशिश की

    लेकिन तब तक स्वतंत्रता के रखवाले

    इराक़ी सीमाओं को बंद कर चुके थे

    मैं वृंदावन गया अलबत्ता

    जहाँ मुझे वेणुगोपाल मिला

    जो स्कूटर के पीछे बैठा गन्ना चूस रहा था

    मैंने संटी से धमकाकर एक बकरी को भगाया

    और निधिवन में प्रवेश किया

    हरिदास बाबा की समाधि पर मुझे सचमुच रोमांच हो आया

    लेकिन वहाँ मिला मुझे एक पंडा

    जो अभी-अभी कृष्ण भगवान से मिलकर आया था

    और थरथर काँप रहा था

    जब उस लीला-पुरुषोत्तम ने देखा मैं सुस्त घोड़े की तरह उसे देखे जा रहा हूँ

    तो उसने चलते-चलते कोशिश की

    कि मैं उसे दो रुपए चंदे के दे दूँ

    अब मेरी हँसी छूट गई और उसने मुझे कस के श्राप दिया

    रात स्टेशन की बेंच पर

    खटमलों ने मार-मार जूते मेरा परलोक सुधार दिया

    मैंने कनॉट प्लेस से बाँसुरी ख़रीदी और चाँदनी चौक से पेड़े

    मैं हरी क़मीज़ पहनकर मंदिर में घुसा और भगवा ओढ़कर तवाफ़ को निकला

    मैंने ढेर सारी कविताएँ लिखीं

    लेकिन आलोचकों ने अपनी सुविधा के हिसाब से छह-सात चुनीं

    और भुनगे की तरह मुझे उन पर ठोक दिया

    फिर मैंने केले खाने शुरू किए

    और छिलके आमतौर पर पैग़ंबरों के रास्ते में फेंकता गया

    मैंने तमाम ज्योतिषियों के हाथ बाँचे

    औलियाओं मुल्लाओं के फाल निकाले

    एक मुबारक दरगाह पर मुझे एक मुबारक महात्मा की मुबारक पूँछ का बाल मिला

    मैंने उसकी खाल निकाल ली

    जिसकी जैकेट बनवाकर मैं फ़ायरिंग स्क्वाड के सामने चला

    गोलियाँ चलने से पहले मैं दो-एक बातें और आपको बता दूँ

    पवित्र आत्माओं के दिन

    गोल्फ़ लिंक का एक क्रांतिकारी

    मार्क्सवाद की चाँदनी में नौकाविहार कर रहा था

    मैंने उसका बजरा पलट दिया

    जब उसने देखा यह तो सचमुच की हुई जा रही है

    उसने दिल कड़ा करके गोता लगाया

    और गुनगुनी रेत की तरफ़ भागा

    अगले दिन वह तमाम अख़बारों में बयान देता डोला

    क्रांति के दुश्मनों का नाश हो

    मेरा बजरा पलट दिया हरामख़ोरों ने

    मैंने कौए की चोंच और छछूँदर के नाख़ून एक ताबीज़ में भरे

    और मकर संक्रांति के दिन कमर तक गंगा में खड़े हो भविष्यवाणी की

    2053 के तेईसवें गुरुवार को

    दुनिया के सारे ज्योतिषी नष्ट हो जाएँगे

    मुझे यक़ीन था कि मेरी भविष्यवाणी सच साबित होगी

    क्योंकि दुनिया में भविष्यवाणियाँ बस ऐसे ही साबित हो जाती हैं

    मुझे अलीगढ़ी के लिए ज्ञानपीठ मिला

    और हाथरसी के लिए साहित्य अकादेमी

    हालाँकि मैं लगातार हिंदी में लिखता रहा

    मेरी सूरत देखकर किसी की तबियत नहीं ख़राब होती थी

    इसलिए मुझे विद्वान नहीं माना गया

    मैंने तीज-त्यौहारों पर अपनी प्रतिबद्धताओं के बक्से नहीं खोले

    मैं कभी कहीं इतना महत्त्वपूर्ण नहीं हो पाया

    कि लोग बहस करते

    यह शैतान की औलाद था या भगवान की

    मैंने विचारहीन गर्भ का मज़ाक़ उड़ाया

    लेकिन मैंने कभी जन्म का मज़ाक़ नहीं उड़ाया

    मृत्यु को तो मैंने सदा बड़े आदर के साथ देखा

    मैंने कुछ राजनीतिक और सांस्कृतिक भविष्यवाणियाँ भी की थीं

    जिन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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