आज़ादी आ रही है

azadi aa rahi hai

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

आज़ादी आ रही है

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

और अधिकगयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

    जिस पर कि लोकमान्य ने क़ुर्बान जान की,

    महिमा महान बापू ने जिसकी बखान की।

    जिसके लिए सुभाष ने सीधी कृपान की,

    अपनाके जिसको दूनी जवाहर ने शान की।

    आज़ादी-ए-वतन की समझते जो क़द्र हैं।

    आज़ाद हिंद क्यों हो 'आज़ाद' सद्र हैं॥

    यह फ़िक्र दिल में रहती है अक्सर लगी हुई,

    आज़ादी की लगन है बराबर लगी हुई।

    लौ देखिए तो है यही घर-घर लगी हुई,

    है एक आग जो है सरासर लगी हुई।

    सौदा स्वतंत्रता का वतन का जुनून है।

    क्या रंग ला रहा, ये शहीदों का ख़ून है॥

    निकले खरे कसौटी में हर इम्तिहान पर,

    बरसों ही बान बटते रहे आन-बान पर।

    कितने जवान खेल गये अपनी जान पर,

    आने दी आँच पर तिरंगे की शान पर।

    तदबीर से बनाने को तक़दीर चल पड़े।

    दीवाने तोड़-तोड़के जंज़ीर चल पड़े॥

    उमड़ा वतन में क़ौमी मुहब्बत का जोश है,

    हिम्मत बढ़ी हुई है शुजाअत का जोश है।

    हर एक नौजवान में ग़ैरत का जोश है,

    रोकेगा कौन इसको क़यामत का जोश है।

    है क्या अजब जो क़ब्रों से मुर्दे निकल पड़े।

    'जयहिंद' बोल-बोल के दिल्ली को चल पड़े॥

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