पिता की तस्वीर

pita ki taswir

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल

पिता की तस्वीर

मंगलेश डबराल

और अधिकमंगलेश डबराल

    पिता की छोटी-छोटी बहुत-सी तस्वीरें

    पूरे घर में बिखरी हैं

    उनकी आँखों में कोई पारदर्शी चीज़

    साफ़ चमकती है

    वह अच्छाई है या साहस

    तस्वीर में पिता खाँसते नहीं

    व्याकुल नहीं होते

    उनके हाथ-पैर में दर्द नहीं होता

    वे झुकते नहीं समझौते नहीं करते

    एक दिन पिता अपनी तस्वीर की बग़ल में

    खड़े हो जाते हैं और समझाने लगते हैं

    जैसे अध्यापक बच्चों को

    एक नक़्शे के बारे में बताता है

    पिता कहते हैं मैं अपनी तस्वीर जैसा नहीं रहा

    लेकिन मैंने जो नए कमरे जोड़े हैं

    इस पुराने मकान में उन्हें तुम ले लो

    मेरी अच्छाई ले लो उन बुराइयों से जूझने के लिए

    जो तुम्हें रास्ते में मिलेंगी

    मेरी नींद मत लो मेरे सपने लो

    मैं हूँ कि चिंता करता हूँ व्याकुल होता हूँ

    झुकता हूँ समझौते करता हूँ

    हाथ-पैर में दर्द से कराहता हूँ

    पिता की तरह खाँसता हूँ

    देर तक पिता की तस्वीर देखता हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मंगलेश डबराल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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