सुंदर चीज़ें शहर के बाहर हैं

sundar chizen shahr ke bahar hain

अरविंद चतुर्वेद

अरविंद चतुर्वेद

सुंदर चीज़ें शहर के बाहर हैं

अरविंद चतुर्वेद

और अधिकअरविंद चतुर्वेद

    कभी-कभी ही पता लगता है

    कि सुंदर चीज़ें

    शहर के बाहर हैं

    मसलन, ऊबे हुए

    या शोर में डूबे हुए लोग

    जब कहीं घूमने जा रहे होते हैं

    तो शहर की चौहद्दी पार करते ही

    अपना चेहरा पोंछते हैं

    और एक भली-सी हवा में

    लहराने देते हैं अपने बाल

    चिड़ियों के साथ झूमते-डोलते

    किसी झुरमुट को देखकर पता लगता है—

    वाक़ई सुंदर चीज़ें शहर के बाहर हैं।

    यह तब भी पता लगता है

    जब पहली बार आप धँसते हैं

    नाक पर रूमाल रखे

    शहर की चौहद्दी के भीतर

    यह शहर आपका स्वागत करता है

    ऐसा एक बोर्ड ज़रूर मिलेगा शहर की चौहद्दी पर

    लेकिन मन में इत्मीनान का कोई भाव जगाने के बजाय

    वह धौंस जमाएगा आपके ऊपर

    नाक पर रूमाल रखने के बावजूद

    शहर का आतंक घुस जाएगा आपके भीतर

    आप नहीं जान पाते कि वह नाक के रास्ते घुसा या कान के

    आप कुछ ज़्यादा ही शरीफ़ होने के चक्कर में

    कितने दयनीय बन जाते हैं!

    फिर आप बरसों शहर में रह जाएँगे

    बस जाएँगे किराए का कोई कमरा लेकर

    यहाँ-वहाँ जाएँगे

    सिनेमा का, बस का, ट्राम का टिकट कटाएँगे

    अमिताभ को देखेंगे, करिश्मा को देखेंगे

    और विज्ञापन के मॉडल की तरह

    आपको भी पता चलेगा कोमल त्वचा का राज़

    तब ताज़गी और ख़ूबसूरती के लिए

    आपको भी भरोसा होने लगेगा किसी साबुन पर

    सुबह-सुबह दाढ़ी बनाएँगे

    अख़बार पढ़ेंगे

    और कुढ़ते रहेंगे—

    धत् तेरे की, यह भी कोई ज़िंदगी है!

    ऐसे ही किसी वक़्त

    बाहर कहीं जाने का मौक़ा मिलेगा

    तब शहर की चौहद्दी पार करते ही

    अपना चेहरा पोंछते हुए

    आप चाहेंगे कि भर लें फेफड़ों में

    सारी ताज़ी हवा

    शायद आप भूल भी जाएँ

    कि रूमाल जेब में है या नहीं

    और आपको पता लगेगा—

    सुंदर चीज़ें शहर के बाहर हैं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुंदर चीज़ें शहर के बाहर हैं (पृष्ठ 71)
    • रचनाकार : अरविंद चतुर्वेद
    • प्रकाशन : प्रकाशन संस्थान
    • संस्करण : 2003

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए