सृजनकर्ता

srijankarta

नेहा अपराजिता

नेहा अपराजिता

सृजनकर्ता

नेहा अपराजिता

और अधिकनेहा अपराजिता

    वे जो सृजनकर्ता रहे

    संवेदना के

    संतुष्टि के

    शायद इस सृष्टि के भी

    वे इतने बेख़बर रहे

    उन्हें अपनी शक्ति की सीमा का ज्ञान नहीं

    वे पुरुष

    जिनके पुरुषार्थ पर

    इस देश का बहुत कुछ टिका है

    हथेली पर तंबाकू ठोक

    वे बहुत कुछ दे रहे

    इस देश को

    वे महिलाएँ कितनी बेख़बर होंगी

    जो बासी रोटी और नैनू खाकर

    आठ-दस बच्चे जन गईं

    सारे के सारे उन्होंने

    महीने की पहली तारीख़ को जने

    मैं नहीं कहती

    आँकड़ों ने कहा

    संतुष्ट रहे वे

    उन्होंने उतना भी नहीं माँगा

    जितने के वे हक़दार रहे

    वे जो बेख़बर हैं

    उन विद्यार्थियों से

    जो आज उन पर बनी योजनाएँ रट रहे,

    अधिकारी बनेंगे

    फिर इनके अधिकारों के लिए लड़ेंगे

    उनसे भी जो शोधार्थी हैं

    गहन शोध में हैं

    उनका शोधपत्र कहाँ विरोध दर्ज करता है?

    मुझे भी नहीं ज्ञात

    उनसे भी जो

    बुद्धजीवी हैं, घिस रहे हैं बुद्धि

    हल क्या निकल रहा?

    मेरे पास आँकड़ों का संकलन नहीं

    उन्होंने तो निश्छलता बोई थी

    काइयाँपन हमारा

    उनके बोए को

    बैचैनी में बदल रहा

    संवेदना भी बोई थी

    हमारी ही भूख

    हमारी वेदना का कारण है

    संतुष्टि भी बोई थी

    दूसरे का सुख

    हमको उनके छप्पर से भी

    कमज़ोर बना रहा!

    स्रोत :
    • रचनाकार : नेहा अपराजिता
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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