चीख़ से उतर कर

cheekh se utar kar

मलयज

मलयज

चीख़ से उतर कर

मलयज

और अधिकमलयज

    मेरे हाथ में एक क़लम है

    जिसे मैं अक्सर तानता हूँ

    हथगोले की तरह फेंक दूँ उसे बहस के बीच

    और धुआँ छँटने पर लड़ाई में कूद पड़ूँ

    —कोई है जो उस वक़्त मेरे घुटने से बहते रक्त की

    तरफ़ इशारा कर कहे कि

    शांति रखो, सब यूँ ही चलता रहेगा?

    और जब मैं घुटती हुई चीख़ को शब्दों में

    ज़बरदस्ती ढकेलते हुए कहूँ, क्या आप मेरा साथ देंगे,

    बहस में नहीं, लड़ने में

    तो उसकी नज़र मेरी जेब पर हो कर

    मेरे चेहरे पर हो?

    आस-पास खुलती हुई खीसों में

    इतनी संवेदना है

    कि एक पत्ती की उद्धत तन्हाई हिलती हुई

    तोंद के हवाले हो जाती है

    और बहस के लिए अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ाइयाँ नहीं

    बिना अक्षर की

    एक पीली दीवार रह जाती है

    फिर भी उन्हें डर है कि आज जो

    शब्द-उगलती क्यारियों की छटा है, सेंतमेंत है

    कल ज़मीन का जलता तिनका बन जाएगी

    और एक ख़ूनी लहर जो

    पत्रिकाओं के सतरंगे मुखपृष्ठों पर

    घूँसे तानती हर कुर्सी की बग़ल में

    सट कर बैठ जाती है

    काला झंडा उठाएगी

    जबकि चिरी हुई दीवार की ओट में खड़े

    उनके आँसुओं के पीछे

    धूल में पिटते नंगे चेहरों को धोता

    कँटीला घड़ियाल है

    कीचड़ में पद्म-श्री सूँघता हुआ

    और प्रतीकों की जकड़ जहाँ ख़ून में मिली हुई

    दूर तक उभड़ती चली गई है उस दुर्घटना में

    —कोई है जो मेरे बदहवास निहत्थेपन को सिर्फ़ मेरा

    कुचला हुआ सौंदर्यबोध कहे

    और जब मेरी चुप चीख़ से उतर कर

    हाथ-पाँव की हरकत में बदल जाए

    तो उसे पिछड़ेपन की छटपटाहट नहीं, चीज़ों को

    तोड़ने का इरादा समझे?

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ (पृष्ठ 16)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 1980

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए