चुनाव

chunaw

प्रतिभा कटियार

और अधिकप्रतिभा कटियार

    हमारे जन्म के लिए

    नहीं दिया था हमने कोई प्रार्थना-पत्र

    हिंदू या मुसलमान बनकर

    जन्मने के लिए

    स्त्री होकर जीने के लिए

    पुरुष होकर

    पंडित, ठाकुर या दलित होकर

    जन्म लेने के लिए

    पूछा गया था हमसे

    किस देश या राज्य में

    लेना चाहते हैं जन्म

    कौन सा धर्म पसंद है हमें

    किसके रीति-रिवाज, परंपराएँ

    निभाना चाहेंगे हम

    बिना अपने चुनाव के इस जन्म को

    उसी तरह जीने लगे हम

    जैसे जीना तय किया सबने

    सिवा हमारे

    मंत्र जपने थे

    या पढ़नी थीं क़ुरान की आयतें

    कहाँ पता था हमें

    लेकिन मनुष्य तो हम होते ही

    अगर बदल भी जाता

    धर्म, जाति, देश, लिंग सब कुछ

    धर्म अगर एक ही होता धरती का

    जो होतीं लकीरें सरहदों पर

    या हम जन्मे ही होते सरहद पार

    तो बदला होता सब कुछ

    बदल जाती पहचान, आस्थाएँ, विचार

    बस कि नहीं बदलता चोट लगने पर दर्द होना

    और प्यार पाकर निहाल हो जाना

    मुँह में ठूँस दिए गए नारे,

    ताली बजाने को उठते हाथ

    किसी झुंड के पीछे

    दौड़ पड़ने का पागलपन

    कुछ भी नहीं है हमारा ख़ुद का

    यह पागलपन बोया गया है

    इस पागलपन से बचना

    हो सकता है हमारा चुनाव

    समझना होगा ख़ुद ही

    कि जन्म हमारा चुनाव नहीं

    जीवन हमारा चुनाव हो सकता है

    धर्म हमारा चुनाव सही

    संवेदना हमारा चुनाव हो सकती है

    जाति हमारा चुनाव सही

    मनुष्यता हमारा चुनाव हो सकती है

    जन्म भले हुआ हो धरती के किसी कोने पर

    लेकिन पूरी धरती को प्यार करके

    उसमें रच-बस जाने का सपना

    हमारा ख़ुद का चुनाव हो सकता है

    मोहरे बनकर सियासत की बिसात पर

    नफ़रत फ़ैलाने को दौड़ते फिरने से बचना

    हो सकता है हमारा चुनाव

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रतिभा कटियार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए