भारोत्तोलन

bharottolan

अविनाश मिश्र

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भारोत्तोलन

अविनाश मिश्र

और अधिकअविनाश मिश्र

    पल्सर भी लूना लगती थी जब वह उस पर बैठता था

    और बोकारो की सड़कें उसका भार उठाती थीं

    दारा सिंह जैसी जाँघें नहीं

    दारा सिंह की जाँघों-सी कलाइयाँ थीं उसकी

    आँखें ऐसी दो बहुत बड़े कोयले रख दिए गए हों जैसे चेहरे पर

    उसका क़द आसमाँ को मात करता था

    वह बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) में

    एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है

    यह नौकरी उसे स्पोर्ट्स कोटे के तहत हासिल हुई है

    वह ऑस्ट्रेलिया से ख़ुद के ख़र्चे पर

    वेटलिफ़्टिंग के गुर सीखकर आया है

    वह नोकिया-2300 हैंडसेट रखता है

    और उसमें कभी भी दस रुपए से ज़्यादा का रीचार्ज नहीं कराता है

    नोकिया-2300 सेलफ़ोन का यह मॉडल बहुत पहले आना बंद हो चुका है

    लेकिन वह अब भी उसके पास है

    और उसमें भारत रत्न सचिन तेंदुलकर द्वारा प्रचारित एअरटेल का सिमकार्ड है

    और उसमें सात रुपए का टॉकटाइम है

    एक हाथी शरीर के साथ वह विदआउट बैंक बैलेंस जी रहा है

    सारी तनख़्वाह बस बीस दिन की ख़ुराक है

    और एकमात्र सपना बस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर

    भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए भारोत्तलन में स्वर्ण पदक जीतना

    लेकिन वह चुना नहीं जा रहा है

    कोयले-सी आँखें सब वक़्त सुलगती रहती हैं

    हाथी बराबर हल्का होता जा रहा है

    घुल रहा है वह लेकिन चुना नहीं जा रहा है

    और जो चुना जा रहा है

    वह उससे दस किलोग्राम ज़्यादा भार उठा सकता है

    यह वह कई बार कह चुका है स्थानीय प्रेस में

    आईसीआईसीआई बैंक के रिकवरीमैनों को

    वह बहुत बार बेतरह पीट चुका है

    उनका क़सूर बस इतना था कि क़िस्तें जमा कर पाने की वजह से

    वे उसकी पल्सर ज़ब्त करने आए थे

    वह बीएसएल के कर्मचारियों के साथ भी मार-पीट कर चुका है

    वह पड़ोसी के कुत्ते को घायल कर चुका है

    एक लैंपपोस्ट बुझा चुका है

    और अपने घर की दीवार तोड़ चुका है

    चूहों, बिल्लियों, कुत्तों, हाथियों और शेरों

    सबमें आत्म-सम्मान बराबर होता है

    लेकिन चूहे, बिल्लियाँ और कुत्ते

    आत्म-सम्मान को प्राय: बचाकर नहीं रख पाते

    ठीक यही बात चिड़ियाघरों और सर्कसों के

    हाथियों और शेरों के साथ भी है

    मदारी के हत्थे चढ़ गए

    बंदरों और भालुओं की भी यही हालत है

    और बीन की धुन पर मदमस्त साँपों की भी

    व्यवस्थाएँ कभी भी हाथ-पैरों से नहीं लड़तीं

    यहाँ एक वेटलिफ़्टर के संदर्भ में व्यवस्था

    उसकी ख़ुराक कम करती जा रही है

    बीएसएल का वरिष्ठ स्टॉफ़ जो उसके एक हाथ का भी नहीं है

    उसकी शैक्षणिक योग्यता और उसकी ख़ुराक को लेकर

    उसे बराबर ज़लील करता रहता है

    रोज-रोज धर्मेंद्र और सनी देओल नहीं हुआ जा सकता

    क्योंकि यह जीवन है बाबू खेल कई घंटे का

    वह एक दिन बोकारो की किसी सड़क पर

    रिज़र्व में चल रही पल्सर चलाते हुए

    एक ट्रक के नीचे जाएगा

    इस दुर्घटना की तारीख़

    कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स या ओलंपिक की तारीख़ों से टकरा सकती है

    यह दुर्घटना किसी को भरमाएगी, चौकाएगी, डराएगी, सताएगी, जगाएगी नहीं

    बस समझाएगी कि ज़रा समझदार बनिए, सँभलकर चलिए, दाएँ-बाएँ देखकर

    और जहाँ तक हो सके कम से कम भार उठाइए

    क्योंकि यह जीवन है बाबू खेल कई घंटे का

    स्रोत :
    • रचनाकार : अविनाश मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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