बाहर मत जाओ

bahar mat jao

असीमा भट्ट

असीमा भट्ट

बाहर मत जाओ

असीमा भट्ट

और अधिकअसीमा भट्ट

    बाहर मत जाओ

    कहते हुए तुमने मुझे जकड़ लिया था अपनी बाँहों में

    कहा था—बहुत भयावह है बाहर की दुनिया

    सुरक्षित नहीं बचोगी क़तई

    मैंने जाना था तुम्हें ही अपनी पूरी दुनिया

    सर्वस्व

    तुम्हारी बाँहों के फंदे होने लगे थे धीरे-धीरे और भी ज़्यादा मज़बूत

    कसमसाने लगी थी मैं

    घुटने लगा था मेरा दम

    मैंने कहा—खुल कर साँस लेना चाहती हूँ

    थोड़ी हवा चाहिए मुझे

    तुमने कहा था—

    'पूरा घर तुम्हारा है जो मर्ज़ी चाहे करो, लेकिन घर के अंदर रहो'

    कहते हुए जड़ दिए दरवाज़े पर सबसे भारी ताले जिसकी चाभी जाने कहाँ फेंक

    आए किसी मंदार की गुफाओं में या अरब सागर की खाड़ी में

    मैं बहलाती रही अपने आपको

    चहारदीवारी को अपना संसार समझती

    जहाँ परदे भी मेरी पसंद के नहीं थे

    मुझे नहीं था अधिकार अपनी पसंद का रंग चुनने का जो थे चटख और जीवंत

    तुम कहते थे—बहुत घटिया है तुम्हारी पसंद

    तुम बार-बार अपनी प्रेमिका का हवाला देते हुए कहते थे—

    उनसे पूछो, उन्हें साथ ले जाओ, वह पसंद करेंगी, वह हैं तुमसे ज़्यादा अनुभवी

    जहाँ तुम मेरे ख़यालों में भी किसी को नहीं देखना चाहते थे वहीं तुम्हारी

    'वह' तीसरी की उपस्थिति मुझे उपेक्षा और हीन-भावना से भर देता था

    नहीं था कुछ भी वहाँ मेरा

    जिसे मेरा घर और दुनिया कहा सकता था

    वहाँ मेरी सहमति-असहमति कोई मायने नहीं रखती थी

    रसोई से बिस्तर तक, सब पर था तुम्हारा एकाधिकार

    खिड़की पर खड़ी होकर आसमान भी देखना कितना अजनबी लगता था

    चाँद से भी कम होने लगी थी बातें और मुलाक़ातें

    जबकि तुम अच्छी तरह जानते थे

    कितना अच्छा लगता था मुझे चाँद

    तितली की तरह फड़फड़ाते घर की चहारदीवारी में लहूलुहान था मेरा मन

    घर की ज़ंजीरें कितनी भयानक थीं

    रियायत में मिली ज़िंदगी मुक्ति के लिए छटपटा रही थी

    तुमने और घने कर दिये थे अपने बाड़े यह कहते हुए—

    'तुम मंगलेश डबराल की

    कविता की वह नायिका हो

    जो पूरी दुनिया को समझती है अपनी गोद में बैठा हुआ बच्चा'

    ओह! तुम्हारी सोच में तुम्हारी दुनिया कितनी जकड़ी हुई और निर्मम थी

    अब जबकि तोड़ आई हूँ झटके से तुम्हारी टैंक जैसी दीवार

    मैं जानती हूँ खुले आसमान और खुली चाँदनी में साँस लेने का एहसास

    सचमुच यह दुनिया मेरी गोद में बैठा हुआ बच्चा है—

    सबसे सुंदर, सबसे प्यारा

    जीने की तमाम तमन्नाओं से भरपूर

    मैंने सीख लिया है जीना और गाना

    'आज फिर जीने की तमन्ना है, आज फिर मरने का इरादा है...'

    स्रोत :
    • रचनाकार : असीमा भट्ट
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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