अनापत्ति प्रमाणपत्र

anapatti pramanapatr

प्रेम रंजन अनिमेष

प्रेम रंजन अनिमेष

अनापत्ति प्रमाणपत्र

प्रेम रंजन अनिमेष

और अधिकप्रेम रंजन अनिमेष

    मैं इस ऐतिहासिक देश का ज़िम्मेदार नागरिक

    ठीक ग्यारह बजकर पचपन मिनट पर

    जब आदमी सबसे अधिक होश-ओ-हवास में होता

    और घड़ी बेताब

    यह घोषित करता

    कि मुझे कोई आपत्ति नहीं

    राजा के राजा

    और प्रजा के प्रजा होने पर

    अमीरों के अमीर

    ग़रीबों के और ग़रीब बनते जाने

    रास्तों के चलते रहने

    मंज़िल के आने से

    कोई आपत्ति नहीं है

    अगर सब शांतिपूर्वक मिल बैठ लूट बाँँट कर खाएँ

    कोई किसी के आड़े आए

    आए भी तो टकराए

    अपनी ओर उँँगली उठने पर ऊँँचे आसनों पर बैठे हाकिम

    औरों को अधिक अधम बताएँ

    कहींं से गुज़र हो बिना एक हरी पत्ती दिखाए

    अनैतिकता और अराजकता को शोभनीय पदों में सजाया जाए

    क्या आपत्ति हो सकती है भला किसी को

    यदि शब्दों से अर्थ छीन लिए जाएँ जैसे आदमी से अधिकार

    काम से अधिक हों बेकार और हौसलामंदों से अधिक लाचार

    कोने कोने चस्पाँँ इश्तिहार और हर हरकत लगे प्रचार

    जो कुछ घर में हो रहा हो हमेशा उसके लिए कोई बाहर का ज़िम्मेदार

    नहीं कोई आपत्ति

    न्यायालय हो जाएँ न्याय के नीलामघर

    संसद बेमक़सद बहसों का कोशागार

    आदमी चलता-फिरता संग्रहालय ऐतिहासिक भूलों का

    नहीं कोई आपत्ति नहीं

    भूखे तथाकथित सम्मान पकाएँ

    शोहदों को जनप्रतिनिधि बनाएँ

    देश विश्व के मानचित्र पर उभरे सबसे बड़ा बाज़ार कहाए

    प्यार इतना सहज कि चलते-फिरते किसी के साथ किया जाए

    और खुशी इस तरह सुलभ कि उसे खोजते

    चिकने-चुपड़े अदाकार झोंपड़ों तक आएँ

    धर्म ऐसा सायादार कि उसकी आड़ में किसी पर किया जा सके प्रहार

    गाड़ियाँँ इतनी विलंबित कि प्लेटफॉर्म पर इंतज़ार हो सामूहिक त्योहार

    आपत्ति नहींं अगर किसी को आपत्ति नहींं

    आपत्ति नहींं किसी को हो भी तो

    ख़ुश हूँँ प्रसन्न हूँँ संतुष्ट आपत्ति नहीं जहाँँ तक

    मेरा सवाल है

    मेरा सवाल नहीं तब भी कोई आपत्ति नहीं

    मैं इस सुविधासंपन्न धैर्यवान महान देश का

    मामूली नागरिक यह घोषणा करता

    जिससे भी हो इसका वास्ता

    हालाँँकि किससे किसका वास्ता

    प्रमाणपत्र तो पूरा हो गया

    फिर भी फिर से दुहराता

    कोई आपत्ति नहीं मुझे

    यह घोषणा सुनी जाए सुनी जाए

    प्रमाण इसे माना या माना जाए...

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रेम रंजन अनिमेष
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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