केवल प्यार करना ही ज़रूरी नहीं

kewal pyar karna hi zaruri nahin

आलोक रंजन

आलोक रंजन

केवल प्यार करना ही ज़रूरी नहीं

आलोक रंजन

और अधिकआलोक रंजन

    कोई केवल

    यह कह कर काम नहीं चला सकता

    कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ

    प्यार के लिए

    प्यार होते दिखना

    बहुत ज़रूरी है

    वह दिखना कई तरह से हो सकता है

    हो सकता है कि

    प्यार ही ऐसी चीज़ हो

    जिस पर

    आपके प्रेमी का सब कुछ टिका हो

    मौक़ा आने पर

    सबसे पहले

    जब वही आधार टूट जाए

    तो कोई भी समझ सकता है

    कि ख़ून के आँसू कैसे होते हैं

    इसके बावजूद

    प्यार एक ऐसी क्रिया है

    जिसमें दो लोग होते हैं

    दोनों ही महत्त्वपूर्ण

    कोई भी रिश्ता

    समय के साथ

    अपने रंग छोड़ता जाता है

    फिर प्यार क्या चीज़ है

    ऐसे में प्यार से भाग जाना

    व्यक्तिगत सफलता ज़रूर लगती है

    कुछ-कुछ आज़ादी की तरह भी

    लेकिन यह उस बंधन की हार होती है

    जो दो लोग प्रेम में पड़ते ही बाँध लेते हैं

    और अपमान उस भाव का जिसे प्यार कहते हैं...

    इसलिए प्यार का टूटना तोड़ देता है...

    बढ़ा देता है मन के भीतर बहुत कुछ

    जो सुंदर नहीं हो

    जो किसी हद तक भेद दे मन को,

    ख़ुद को...

    स्रोत :
    • रचनाकार : आलोक रंजन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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