आदमी का दुःख

adami ka duःkh

मानबहादुर सिंह

मानबहादुर सिंह

आदमी का दुःख

मानबहादुर सिंह

और अधिकमानबहादुर सिंह

    राजा की सनक

    ग्रहों की कुदृष्टि

    मौसमों के उत्पात

    बीमारी, बुढ़ापा, मृत्यु, शत्रु, भय

    प्रिय बिछोह

    कम नहीं हैं ये दुख आदमी पर

    ऊपर से

    जब घर जलते हैं

    तो आदमी के दिन जलते हैं

    फ़सलें डूबती हैं

    आदमी के सपने डूब जाते हैं

    पशु मरते हैं

    आदमी के हाथ-पाँव कटते हैं

    ईश्वर लड़ते हैं

    तो आदमी ही मरते हैं।

    आदमी से ज़्यादा दुखी

    कौन है इस संसार में?

    सारी धरती के दुःख

    आख़िर इसको ही सहने पड़ते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रचना संचयन (पृष्ठ 221)
    • संपादक : जीवन सिंह, केशव तिवारी
    • रचनाकार : मानबहादुर सिंह
    • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
    • संस्करण : 2016

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