रोक बुरी बातों से दिल को

rok buri baton se dil ko

राधेश्याम कथावाचक

राधेश्याम कथावाचक

रोक बुरी बातों से दिल को

राधेश्याम कथावाचक

और अधिकराधेश्याम कथावाचक

    रोक बुरी बातों से दिल को, राम नाम का सुमरन कर।

    रख भागवत की याद नहीं तो, मरेगा रो-रोकर रे खर॥

    रंग ले तन मन प्रेम रंग में, मुँह से गा ले नट नागर।

    राघव अंत में काम बनइ हैं, संग जावेगी जर घर॥

    रचयिता जग के हैं जलशायी, बनाये हैं जल-थल-नभ-चर।

    रीछ से लेकर उपजावे कुल, हाथी घोड़े और मच्छर॥

    रंजन कर्त्ता हैं जन-मन के, निराकार अद्वैत अजर।

    रीझ जात हैं प्रेम देख कर, मेवा त्याग खात बेझर॥

    रट गोविंद का नाम अरे शठ, मत कर बेमतलब टर-टर।

    रख भगवत की याद नहीं तो, मरेगा रो-रोकर रे खर॥

    रूठ जायगी ज्वानी यकदिन, ज़रा आय करदे ठांठर।

    रांड मौत खाये यक दिन में, क्यों बैठा है हो बेडर?

    रे ढकोसले रहने दे अब, प्रेम के नीर बहा ढर-ढर।

    रात सभी अलसात गई, अब प्रात भयो उठ के हो सतर॥

    रथ, गज, बाजि साथ जायेंगे, हटा वेग मति का पत्थर।

    रद मत कर उपदेश बड़ों के, नहिं पावेगा दुख कादर॥

    राधावर का ख़ास दास बन, शुभ अभिलाष यही चित धर।

    रख भगवत की याद नहीं तो, मरेगा रो-रोकर रे खर॥

    रैन दिना के चक्कर में फंस, बीती जाय उमरिया, नर॥

    रुपया जोड़-जोड़ मर जैहैं, क्यूँ फूला है तन धन पर।

    रे फंसता है क्यूँ माया में, कड़ा अदम का सर पै सफ़र॥

    रब को भज ले, सबको तज दे, तभी मिले मनवांछित वर॥

    रे भलाई तेरी है इसी में, चेत चेत, मत कर भर-भर।

    राम नाम से काम जो रक्खे, मर कर वह हो जाय अमर॥

    राय मान ‘श्रीबांकेदास’ की, कर सत्संग बन कायर।

    रख भगवत की याद नहीं तो, मरेगा रो-रोकर रे खर॥

    रार, वैर, छल, दंभ, फूट, तज, सत्य मार्ग पै चल सर-सर।

    रेल ठिकाने पहुँची है, टिकट बदल जल्दी ढिल्लर॥

    रे शऊर की बातें करके, खर से होजा जल्द बशर।

    रस में माया के मत फंस रे, यश करने में कर कसर॥

    राह ज्ञान की बेग पकड़, चौरासी लाख से हो बाहर।

    रक्षपाल भगवान भक्त के, रख ले दिल में ये अक्षर॥

    ‘राधेश्याम’ रचा, रे, का छंद, लगा ककहरा इधर-उधर।

    रख भगवत की याद नहीं तो, मरेगा रो-रोकर रे खर॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : राधेश्याम-विलास (पृष्ठ 35)
    • रचनाकार : राधेश्याम कथावाचक
    • प्रकाशन : राधेश्याम पुस्तकालय, बरेली
    • संस्करण : 1925

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए