गीतों का बादल

giton ka badal

रमानाथ अवस्थी

रमानाथ अवस्थी

गीतों का बादल

रमानाथ अवस्थी

और अधिकरमानाथ अवस्थी

    मैं गीत बरसने वाला बादल हूँ

    प्यासे नयनों में हँसता काजल हूँ

    पाँवों के नीचे गहरा सागर है

    माथे के ऊपर बिखरा अंबर है

    जब मेरी आँखें कलियों पर बिगड़ी

    अनगिन काँटों की नोकें साथ गड़ीं

    गीतों में भर-भर जीवन पीता हूँ

    जब तक मेरा मन है, मैं जीता हूँ

    लेकिन मरने के डर से घायल हूँ

    मैं गीत बरसने वाला बादल हूँ

    संगीत छलकता मेरे तन-मन से

    मैं हूँ गीतों का साथी बचपन से

    रंगीन तितलियाँ मन बहलाती हैं

    स्वाधीन बिजलियाँ पंथ दिखाती हैं

    मैं बूँद-बूँद से बाँधे हूँ सागर

    मालूम नहीं है मुझको अपना घर

    मैं नीले नभ में उड़ता आँचल हूँ

    मैं गीत बरसने वाला बादल हूँ

    मैं चाँद-सितारों को चूमा करता

    उजड़ी गलियों में भी घूमा करता

    मुझ पर सबका अधिकार बराबर है

    पानी-सा कोमल मेरा अंतर है

    नभ की गंगा में रोज़ नहाता हूँ

    औ’ द्वार-द्वार जलधार बिछाता हूँ

    धरती की गोदी में गंगाजल हूँ

    मैं गीत बरसने वाला बादल हूँ

    मुझसे मिलने को प्यास मचलती है

    अंतर में तपसिन बिजली पलती है

    मरुथल में जल के फूल लुटाता हूँ

    बूँदों से पथ की धूल उठाता हूँ

    प्यासों की ख़ातिर सागर छलता हूँ

    मिटकर बनने के लिए मचलता हूँ

    मैं जीवन में यौवन की हलचल हूँ

    मैं गीत बरसने वाला बादल हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आख़िर यह मौसम भी आया (पृष्ठ 38)
    • रचनाकार : रमानाथ अवस्थी
    • प्रकाशन : राजपाल
    • संस्करण : 1998

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