भोजपुरी लोकगीत : पहिले ही चिट्ठी अम्मा भेजायो
bhojapuri lokgit ha pahile hi chitthi amma bhejayo
रोचक तथ्य
संदर्भ—पत्नी के पत्र का प्रभाव।
पहिले ही चिट्ठी अम्मा भेजायो,
बबुआ नोकरि जनि छोड़, रुपया बड़ी चीज़।।1।।
दूसरी ही चिट्ठी बप्पा भेजायो,
बचवा नोकरि जनि छोड़, रुपया बड़ी चीज।।2।।
तिसरी चिट्ठी धनिया भेजायो,
सइयाँ नोकरि तुम छोड़, रुपया कुछ ना चीज।।3।।
धनिया के चिट्ठी लखि सइयाँ अइले,
सबके मन को तोड़, रुपया कुछ ना चीज।।4।।
एक नवयुवक बाहर नौकरी कर रहा था। वह नौकरी छोड़ना चाहता था (क्योंकि नौकरी में एक प्रकार का बंधन और अनुशासन होता है, कोई मनमानी करके जहाँ-तहाँ नहीं जा सकता है; अधिकारी से छुट्टी लेनी पड़ती है और आवश्यक नहीं होता कि छुट्टी मिल ही जाए)। उसकी इच्छा को जानकर पहली चिट्ठी उसकी माँ ने भिजवाई कि हे बेटा! नौकरी मत छोड़ना नौकरी बड़ी कठिनाई से मिलती है, क्योंकि रुपया बडी चीज़ है।।1।।
दूसरी चिट्ठी पिता ने भिजवाई कि हे बच्चा! नौकरी मत छोड़ना, क्योंकि धन बड़ी चीज़ है (जो प्रतिमाह वेतन के रूप में नौकर को मिलता है, जिससे गृहस्थी चलती है)।।2।।
तीसरी चिट्ठी पत्नी ने भिजवाई कि हे स्वामी! तुम नौकरी छोड़ दो, रुपया कोई चीज़ नहीं है (प्रेम के आगे रुपये-पैसे, धन-संपदा का कोई महत्त्व नहीं है)।।3।।
पत्नी की चिट्ठी पढ़कर पति नौकरी छोड़कर घर चला आया। उसने माँ-
बाप के मन को तोड़ दिया, यह सोचकर कि रुपए का कोई महत्व नहीं है।।4।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 137)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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