एक सप्ताह
गुलमर्ग
13 श्रावण
प्यारे कमल,
मुझे माफ़ करना, उस दिन शाम की चाय के समय तुम मेरा इंतिज़ार करते रहे होंगे, और मैं इधर खिसक आया। आज तुमसे 1100 मील की दूरी पर और तुम्हारे कलकत्ता महानगर से 9000 फ़ीट अधिक ऊँचाई पर बैठकर मैं तुम्हें यह पत्र लिख रहा हूँ। तुम